ऐसा हो पाया ? अनदे्ों त्वद्ानों और समाज चिंतकों नदे आर्थिक भदेिभा्व को समापत करनदे का आह्ाहन किया , लदेत्न ्वास्तविक धरातल पर भदेिभा्व को समापत करनदे के प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो पाए ।
एक सामाजिक समसया के रूप में त्वचार किया जाए तो मान्व समाज में यह भा्व सथातपत करनदे की प्रबल आवश्यकता है कि धन का समान त्वतरण न भी हो , कयोंकि यह अप्रा्कृतिक और अस्वाभिक भी है , परनतु धन की ्वजह सदे कोई भूखा नहीं रहना चाहिए । जिसके पास पर्यापत मात्ा में धन नहीं है , उस मान्व को रहनदे के लिए एक छोटा सा ही सही पर आ्वास होना ही चाहिए या फिर धन की कमी की ्वजह सदे कोई
हुआ जी्वनयापन करता है और उसमें किसी भी प्रकार की आपस में दी्वार नहीं होती है । मान्व समाज के सभी वर्गों की आपस में एकता ए्वं समबद्धता को सथातपत करके उनको सुख-शाशनत प्रदान करनदे में सहायक होनदे के कारण सामाजिक समरसता की अ्वधारणा में किसी भी प्रकार की त्वरमता के लक्ण नहीं पाए जातदे हैं ।
सामाजिक समरसता और राजनीतिक क्षेत्र
सैद्धांतिक रूप सदे मान्व समाज के समक् संकट की पररशसथतियां समपूणमा राजनीतिक व्यवसथा में शसथरता का परीक्ण करती हैं । ऐसी शसथति में राजनीतिक नदेतृत्व की गुणवत्ता
एक सामाजिक समसया के रूप में विचार किया जाए तो मानव समाज में यह भाव स्ाशपत करने की प्रबल आि्यकता है कि धन का समान वितरण न भी हो , कयोंकि यह अप्राकृतिक और असिाशभक भी है , परनतु धन की वजह से कोई भूखा नहीं रहना चाहिए । जिसके पास पर्यापत मात्रा में धन नहीं है , उस मानव को रहने के लिए एक छोटा सा ही सही पर आवास होना ही चाहिए या फिर धन की कमी की वजह से कोई भी मानव बीमारी या अनय किसी गंभीर समसया का सामने करने के लिए बाधय न होने पाए । इसलिए आर्थिक भेदभाव का निवारण करने के लिए इसे एक सामाजिक समसया के रूप में लेना होगा और पूरे समाज को मिलकर इस समसया का समाधान करने के लिए एकजुट होना होगा ।
भी मान्व बीमारी या अनय किसी गंभीर समसया का सामनदे करनदे के लिए बाधय न होनदे पाए । इसलिए आर्थिक भदेिभा्व का तन्वारण करनदे के लिए इसदे एक सामाजिक समसया के रूप में लदेना होगा और पूरदे समाज को मिलकर इस समसया का समाधान करनदे के लिए एकजुट होना होगा । समाज में सामाजिक समरसता के भा्व को कायम करनदे के लिए यह बहुत आवश्यक है कि पूरदे त्व््व में आर्थिक भदेिभा्व को समापत करनदे के लिए समाज के सभी लोग एकजुट होकर काम करदे और यही एकजुटता पूरदे त्व््व के मान्व समाज में सामाजिक समरसता को कायम कर सकती है । यह एक ऐसी सामाजिक दशा है , जिसमें भदेिभा्वरहित मान्व समाज एक साथ आचार-व्यवहार करता
निर्णायक होती है कयोंकि ्वह सतिा प्रापत करनदे की प्रणाली में योगय नदेतृत्व का चयन ए्वं उनहें परर्वततमात करनदे की प्रतरिया का निर्धारण करतदे हैंI लदेत्न परर्वतमान की इस प्रतरिया का आधार ्वगमा , जाति ए्वं प्रजाति के दृष्टिकोण सदे निर्धारित होनदे की शसथति में सकारातम् नदेतृत्व क्मता का अभा्व होता है । इस कारण सतिा का संचालन करनदे ्वाली राजनीतिक प्रतरिया नयाय में दृढ़ता सदे त्व््वास नहीं करती है और अपनी शशकत को बनाए रखनदे के लिए हर नकारातम् उपाय को अपनानदे लगती है , जिसका प्रभा्व समपूणमा समाज में होता है । राजनीतिक अशसतत्व में सतिा की संरचना , प्रतरिया ए्वं प्रभा्वशीलता की अपनी भूमिका होती है । राजनीतिक व्यवसथाएं जब ्वगमा , जाति ए्वं प्रजाति चितन के आधार पर
fnlacj 2024 27