Dec 2024_DA | Page 14

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डा . आंबेडकर की सीख देकर उपराष्ट्र पति ने त्कया राष्ट्र निर्माण का आह्ाहन

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सद भ्वन के केंद्रीय ्क् में संत्वधान अंगीकार किए जानदे के 75 ्वर्ष पूर्ण होनदे के उपलक्य में गत 26 न्वंबर को आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड नदे कहा कि आज का यह महत्वपूर्ण दिन इतिहास में मील का पतथर है , कयोंकि हम भारत में अपनदे संत्वधान को अपनानदे के 75 ्वर्ष पूरदे होनदे का उत्सव मना रहदे हैं , जो त्व््व के सबसदे बड़े और सबसदे ऊर्जस्वी लोकतंत् के लिए उल्लेखनीय उपलशबध है । हमारा िदेश उल्लेखनीय आर्थिक त्व्ास , मजबूत बुनियादी ढांचा और वयापक डिजिटल व्यवसथा अपनानदे के साथ फल-फूल रहा है , जिसदे अंतर्राष्ट्रीय सतर पर पहचान मिली है और त्व््व में सराहना मिल रही है । यह उपलशबधयां इस बात की पुष्टि करती हैं कि हमारदे संत्वधान नदे भारतीय लोकतंत् को प्रभा्वी ढंग सदे सथातपत किया है ।
उनहोंनदे कहा कि यह हमारदे संत्वधान के मूलभूत मू्यों पर गंभीरता सदे त्वचार करनदे तथा इसके मार्गदर्शक सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि करनदे का अ्वसर है । यह उत्कृष्ट ्कृति हमारदे संत्वधान निर्माताओं की गहन दूरदर्शिता और अटूट समर्पण का उपहार है , जिनहोंनदे लगभग तीन वर्षों में हमारदे िदेश की नियति को आकार दिया , मर्यादा और समर्पण का उदाहरण प्रसतुत किया , और असंगत तथा
मतभदेिों ्वालदे मुद्ों को स्वमासममति और समझदारी सदे सुलझाया । आधुनिक काल में , जब संसदीय त्वमर्श में शिष्टाचार और अनुशासन की कमी हो गई है , आज हमें अपनी संत्वधान सभा की सुनिर कार्यप्रणाली के प्राचीन गौर्व को दोहरातदे हुए सभी समसयाओं को हल करनदे की आवश्यकता है । रणनीति के रूप में अशांति फैलाना लोकतांतत्् संसथाओं के लिए खतरनाक है । अब समय आ गया है कि हम रचनातम् सं्वाद , बहस और सार्थक चर्चा के माधयम सदे
अपनदे लोकतांतत्् मंदिरों की पवित्रता को बहाल करें ताकि लोगों की प्रभा्वी रूप सदे सदे्वा की जा सके ।
उनहोंनदे कहा कि संत्वधान की प्रस्तावना के प्रारंभिक शबि , ' हम भारत के लोग ' बहुत गहरदे अर्थ रखतदे हैं । ्वह लोकतंत् में नागरिकों के अंतिम अधिकार को सथातपत करतदे हैं और संसद उनकी आ्वाज के रूप में कार्य करती है । संत्वधान की प्रस्तावना प्रत्येक नागरिक को नयाय , स्वतंत्ता , समानता और बंधुत्व का आश्वासन िदेती है । जब
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