सभी सम्याओं का समाधान किया जा सकता है ?
्वतंत्रता के लगभग सत्तर साल बाद आज भारत की स्थिति बिलकुल विपरीत है । अब यह देश एक आणविक संपन्न महाशसकत के रूप में विशवमंच पर स्थापित है । इसके बावजदूद यदा- कदा देश की छवि को क्षति पहुंचाने के लिए योजनाबद् रूप से मिथया एवं भ्रमातमक विषयों एवं दलित समाज की सम्याओं के माधयम से अधिक दुषप्रचार किया जा रहा है और दलित समाज के तथिाकदथित वर्तमान रखवाले , कांग्ेस और वामपंथिी षड्ंत्र के अनुरूप दलित जाति के उतपीड़न और अतयारार के लिए मोदी सरकार को जिममेदार ठहरा कर अपने ्वाथिमों को पदूरा
करने के लिए एकजु्ट हैं । सुनियोजित रणनीति के तहत ऐसा प्रचार किया जा रहा है कि दलित समाज की दीन एवं दयनीय दशा के लिए तथिाकदथित हिन्दू समाज की कुछ जातियां ( ब्ाह्मण और ठाकुर ) ही जिममेदार हैं । इतना ही नहीं , तथिाकदथित विद्ानों द्ारा ऐसा प्रचारित कराया जा रहा है कि दलित जातियां हजारों वरमों से हिन्दू समाज में हैं और इनके निर्माण के पीछे वर्ण वयवस्था का हाथि है । जबकि वा्तदवकता में ऐसा नहीं है ।
भारत में दलित जातियों का उदय विदेशी मुस्लम आकांताओं के शासनकाल में हुआ थिा । मुस्लम आकांताओं से लेकर अंग्ेजों और फिर ्वतंत्रता भारत में कांग्ेस , वामपंदथियों और अनय
हिन्दू विरोधी मानसिकता वाले दलों एवं नेताओं ने दलित समाज को भ्रमित करने और उनहें अपने हितों के लिए इ्तेमाल करने का काम किया । समय परिवर्तन के साथि दलित समाज अपने विकास और समग् कलयाण के लिए उनहीं ततवों पर निर्भर होता चला गया जो ततव दलितों को उनके अपने अंधेरे से बाहर निकलना ही नहीं देना चाहते हैं । ऐसे ही ततव अब " जय भीम-जय मीम " का नारा देकर दलित-मुस्लम राजनीतिक गठजोड़ के माधयम से सत्ता हासिल करने की फ़िराक में हैं ।
डा . आंबेडकर ने कहा थिा कि किसी भी लोकतंत्र का निर्माण वहां के रहने वाले लोगों के सामंज्य और तौर-तरीकों से होता है । भारतीय समाज जीवन पदूण्म रूप से जातिवाद पर आधारित है , यदि समाज में निम्न वर्ग को शिक्षित कर देंगे तो जाति वयवस्था को उखाड़ फेंक देगा और हम लोकतासनत्रक वयवस्थाओं को ही मजबदूत करेंगे और भारत के लोकतंत्र को सुरक्षित हाथिों में पंहुचा देंगेI इसलिए बेहतर तो यह होगा कि दलित समाज अपने उन कदथित नेताओं का बारीकी से खुद मदूलयांकन करे कि जो उनहें ्वदण्मम सपने दिखा कर मोदी सरकार और उनकी नीतियों का विरोध करने के प्रेरित कर रहे हैं ।
दलित समाज को एकजु्ट होकर उन शसकतओं को भी जवाब देना होगा जो उनके कलयाण और विकास के नाम पर अपना भारत विरोधी एजेंडा चलाने की फ़िराक में हैंI दलित समाज में आज नेतृतव के अनेक ्तर उभर आए हैं । वयसकतगत राजनीतिक महतवाकांक्षाओं की ्टकराह्ट दलित राजनीति को कमजोर कर रही है । ऐसे में यह आवशयक हो जाता है कि डा . आंबेडकर के आदशमों के प्रति वा्तदवक रूप से अपनी प्रतिबद्ता दिखाई जाए और दलित राजनीति को महतवाकांक्षाओं की ्टकराह्ट , भाई-भतीजावाद , सत्ता प्रासपत की होड़ से ददूर करके हम उस भारत का निर्माण के लिए मिलकर कार्य करें , जिस भारत का सपने डा . आंबेडकर ने देखा थिा । यही बाबा साहब को सच्ची श्द्ांजलि होगी । �
fnlacj 2023 9