वर्ष को एक राषट्र के रूप में ्वीकार किया थिा । उनका मानना थिा कि इस राषट्र की निर्मिति कोई सौ या दो वर्ष में नहीं हो गयी है । इसको प्रकृति , समाज एवं उसकी सं्कृदत ने एक राषट्र के अखंड ्वरुप के साथि निर्मित किया है । देश की एकता और अखंडता इस राषट्र की ्वाभाविक प्रकृति है । बाबा साहब के मन में यह विषय अनानास रूप से नहीं आया थिा । ्वतंत्रता से पदूव्म अंग्ेजों ने अपनी कुद्टल नीति के कारण जब यह भ्रम फैलाया थिा कि भारत एक राषट्र नहीं ,
बसलक राषट्रों का एक समदूह है । उस समय डा . आंबेडकर आल इण्डया दडप्रै्ड कलासेस कांग्ेस के नागपुर अधिवेशन में 1930 में अधयक्ष के रूप में दिए अपने भाषण में इसका विरोध करते हुए कहा थिा कि भारत एक राषट्र है और भारत की विविधता में एकता के ही दर्शन होते हैं और उसी सां्कृदतक एकातमकता के परिणाम्वरूप भारत सिर्फ एक राषट्र है । इस प्रायद्ीप को छोड़कर संसार का कोई भी ददूसरा देश ऐसा नहीं है , जिसमें इतनी सां्कृदतक समरसता हो । हम
केवल भौगोलिक दृष्टि से सुगठित नहीं हैं , बसलक हमारी सुदनसशरत एकता भी अविच्छन्न और अ्टू्ट है जो पदूरे देश में चारों दिशाओं में वयापत हैI डॉ आंबेडकर ने इस बात को आग्हपदूण्म तरीके से कहा थिा कि यह राषट्र हजारों वरमों से एक बना है तो इसकी एकता को बनाये रखने के लिए आगे प्रयास कयों नहीं किये जा सकते हैं ?
डा . आंबेडकर के इस विचार पर चिंतन करते हुए भारत के वर्तमान दृशय पर धयान दिया जाए तो दलितों पर होने वाले कदथित अतयारार को लेकर तमाम दलित नेता तनाव में नजर आ रहे हैं । जनता के बीच अपने कदथित तनाव की चिंता जताने वाले तमाम नेता एक सुनियोजित रणनीति के तहत यह प्रचारित करने में लगे हैं कि भाजपा नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में दलित सुरक्षित नहीं हैं और अगर दलितों का कलयाण करना है तो मोदी सरकार को सत्ता से ददूर करना होगा । ्वतंत्र भारत में शुरू हुई लोकतासनत्रक प्रदकया में दशकों तक दलितों को कांग्ेस के पारमपरिक वो्ट बैंक के रूप में देखा जाता रहा । दलितों और मुस्लमों को डरा-समझा कर वो्ट हासिल करने और फिर सत्ता सुख उठाने वाली कांग्ेस ने , दोनों वगमों का दशकों तक शोषण किया और उनहें अपने हित के लिए इ्तेमाल किया । समय परिवर्तन के साथि दलित वो्ट बैंक अपने वा्तदवक हितों के लिए कांग्ेस से ्टू्ट कर , उन ददूसरे दलों के पास पहुंच गया , जोकि राजनीति में दलित समाज का समग् कलयाण करने और उनके समुचित विकास के तथिाकदथित लक्य को लेकर सामने आये । पर दलित कलयाण के नाम पर आने वाले ऐसे तमाम दलों ने भी दलितों का सिर्फ वो्ट बैंक के रूप में इ्तेमाल किया और ्वदहतों के साथि ही दलित विकास को अवैध कमाई और धन हासिल करने का एक माधयम बना दिया । खेदजनक यह भी है कि इसके लिए बाबा साहब डा . आंबेडकर के नाम का अपनी सुविधानुसार इ्तेमाल किया और लगातार कर रहे हैं ।
वर्तमान दौर में दलित कलयाण के नाम पर सामने आए तमाम नेता डा . आंबेडकर का नाम
fnlacj 2023 7