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सुरक्षा के लिए कार्य करते हैं । राषट्रीयता और पर्पर भाईचारे की भावना सभी प्रकार की विभिन्नतों जैसे-धार्मिक , वैयसकततव , स्थानीय , जातीय , भाषा समबंधों का दव्मरण एवं बहिषकार करने में सहायक होती है ।
पहले वह भी अनय उदारवादी कांग्ेस नेताओं की तरह यह मानते थिे कि ब्रिटिश शासन भारत
के लिए लाभप्रद रहा । वह ब्रिटिश शासन को ऐसी शसकत मानते थिे , जिससे भारत को पुरानी परमपराओं और रूढ़िवादी सोच से बाहर निकलने में मदद मिलेगी । ब्रिटिश शासन ने भारत में एक केनद्रीय सरकार प्रदान की और विभिन्न धममों के लोगों को एक सरकार का दह्सा बनाया है । डा . आंबेडकर के अनुसार राषट्रवाद एक राषट्र
में रहने वालों की सकीय अनुभदूदत है , राषट्रवाद दनसशरत भदूदम होना और एक सां्कृदतक मातृभदूदम होना अनिवार्य है , जिस पर राषट्र का निर्माण को सके । उनके अनुसार राषट्रवाद एक राजनीतिक हित कम और सामाजिक हित अधिक थिा । उनहोंने कांग्ेस एवं ब्रिटिश शासन के विरोध की जगह उनके साथि सहयोग की कार्यशैली अपनाई , जिससे वह दलित-वंचित और निर्धन भाई-बंधुओं के अधिकारों और उनके उत्थान को दनसशरत कर सके । डा . आंबेडकर का राषट्रवाद सामाजिक और आदथि्मक नयाय के मदूल दसद्ांत पर आधारित थिा ।
डा . आंबेडकर की सामाजिक-राजनीतिक सुधारक के रूप में विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा असर हुआ है । ्वतंत्रता के बाद भारत में , उनके सामाजिक-राजनीतिक विचारों को पदूरे राजनीतिक ्पेकट्रम में सममादनत किया जाता है । उनकी पहल ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया है और आज जिस तरह से भारत सामाजिक , आदथि्मक नीतियों और कानदूनी प्रोतसाहनों के माधयम से सामाजिक-आदथि्मक नीतियों , शिक्षा और सकारातमक कार्रवाई में दिख रहा है , उसे बदल दिया है । डाI आंबेडकर के अनुसार समता स्थापित करने के लिए ्वतंत्रता और बंधुतव को बलि चढ़ा देना कदापि उचित हैI यदि ्वतंत्रता और बंधुतव ही न रहे तो ऐसी समता निरथि्मक हो जाएगी । आधुनिक लोकतंत्र का उद्ेशय लोगों का कलयाण हैI वह कहा करते थिे कि एक आदर्श समाज वह होता है जो गतिशील और परिवर्तनशील होI समाज में कई हितों का संचार साथि-साथि होना और उनहें आपस में बां्टा जाना चाहिए । बंधुभाव ही लोकतंत्र का ददूसरा नाम हैI उनका कहना थिा कि अनुसदूदरत जाति और जनजातियों की सम्या संवैधानिक तरीके से सुलझाई जाएI बाबासाहब ने मदूत्म रूप में राषट्र -राजय की अवधारणा रखीI बाबासाहब हमारे सामने सामाजिक नयाय पर आधारित संविधानमदूलक लोकतांत्रिक राषट्रवाद की संकलपना रखते हैंI समरसता के शिलपकार युगदृष्टा डा . आंबेडकर का यह योगदान अलौकिक है । �
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