Dec_2023_DA | Page 31

के नाम पर मतभिन्नता है , उसमें राहुल के नाम पर ही मतैकय हो सकता है । विपक्षी गठबंधन नेतृतव के प्रश्न को लोकसभा चुनाव के बाद के लिए ्टालने की घोषणा कर सकते हैं लेकिन उसका कोई लाभ होगा , इसमें संदेह है । ्वाभाविक है कि विपक्षी गठबंधन मजबदूरी में ही सही , लेकिन राहुल गांधी को नेता चुन सकते हैं । अगर राहुल गांधी के नेतृतव में विपक्षी दलों का गठबंधन आईएनडीआए चुनाव मैदान में जाता है तो फिर मुकाबला नरेनद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच होगा ।
राहुल गांधी के बारे में देश में एक राय है । कांग्ेस पार्टी में भी । पदूव्म राषट्रपति और लंबे समय
तक कांग्ेस पा्टा्म के महतवपदूण्म नेता रहे प्रणब मुखजती की बे्टी शर्मिषठा मुखजती की पु्तक बाजार में आ रही है । पु्तक का नाम है प्रणब , माई फादर । इस पु्तक में सोलह स्थानों पर राहुल गांधी का उललेख है और कई स्थानों पर तो प्रणब मुखजती के डायरी के अंश भी उद्ृत किए गए हैं । प्रणब मुखजती की डायरी के अंश संभवत : पहली बार सार्वजनिक होने जा रहे हैं । प्रसंग 29 जनवरी 2009 के कांग्ेस कार्यसमिति की बैठक का है । प्रणब मुखजती अपनी डायरी में लिखते हैं , राहुल गांधी ने गठबंधन के विरोध में अपनी बात जोशीले अंदाज में रखी । मैंने ( प्रणब ) उनसे कहा कि जोश तो ठीक है लेकिन अपने आयडिया को दव्तार से कारण समेत वयाखयादयत करें ।
प्रणब मुखजती के इतना कहने पर राहुल गांधी ने उनकी तरफ देखा और कहा कि वह उनसे अलग से बात कर लेंगे । उसके बाद प्रणब मुखजती ने राहुल के बारे में अपनी डायरी में लिखा कि वह बेहद शिष्ट हैं और उनके मन में काफी प्रश्न कुलबुलाते रहते हैं जो यह दर्शाते हैं कि वह सीखना चाहते हैं लेकिन अभी राहुल गांधी को राजनीतिक रूप से परिपकव होना बाकी है । परिपकवता के प्रश्न पर ही प्रणब मुखजती 27 सितंबर 2013 की एक घ्टना का उदाहरण देते हैं । उस दिन राहुल गांधी दिलली में अजय माकन के साथि एक प्रेस कांफ्ेंस में एक अधयादेश की प्रति सार्वजनिक रूप से फाड़ दी थिी । भन्नाए प्रणब मुखजती लिखते हैं कि राहुल गांधी खुद को कया समझते हैं ? वह कैबिने्ट के सद्य नहीं हैं । वह होते कौन हैं जो कैबिने्ट के निर्णय को सार्वजनिक रूप से फाड़ डालें । प्रधानमंत्री विदेश में हैं । उनको ( राहुल ) को इस बात का अनुमान भी है कि उनके इस कदम का परिणाम और प्रधानमंत्री पर कया असर होगा ? राहुल को प्रधानमंत्री को इस तरह अपमानित करने का अधिकार किसने दिया ? राहुल में गांधी-नेहरू खानदान से होने अहंकार तो है लेकिन राजनीतिक कौशल नहीं । कांग्ेस पार्टी के ततकालीन उपाधयक्ष की इस हरकत को लेकर प्रणब मुखजती बेहज नाराज
दिखते हैं और कहते हैं कि राहुल का यह कार्य कांग्ेस पार्टी के लिए ताबदूत की आखिरी कील साबित हुई । वह प्रश्न उठाते हैं कि लोग कांग्ेस को इसके बाद वो्ट कयों देंगे । वह इस बात को लेकर ्पष्ट नहीं हैं कि राहुल गांधी कांग्ेस पार्टी को फिर से सदकय कर पाएंगे । वह लिखते हैं कि सोनिया जी राहुल को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहती हैं लेकिन उनमें ( राहुल ) करिशमा और राजनीतिक समझ की कमी के कारण कठिनाई हो रही है ।
राहुल गांधी को लेकर सिर्फ प्रणब मुखजती की ही यह राय नहीं है । अपनी पु्तक अमेठी संग्ाम लिखने के दौरान मैंने युवक कांग्ेस के पदूव्म अधयक्ष से बात की थिी तो उनहोंने भी कमोबेश इसी तरह की बात कही थिी । उनहोंने जो सबसे महतवपदूण्म बात कही थिी वह यह कि राहुल गांधी अगर किसी नेता से नाराज होते हैं तो वह उसको दंडित नहीं करते हैं और जब खुश होते हैं तो पारितोषिक भी नहीं देते । खफा होने से उससे बातचीत बंद कर देते हैं , जिसका नुकसान संगठन को होता है ।
ददूसरी तरफ नरेनद्र मोदी हैं जो दोनों स्थितियों में निर्णय लेते हैं । 2024 का लोकसभा चुनाव अगर नरेनद्र मोदी बनाम राहुल गांधी होता है तो आज की स्थिति में मोदी का हैट्रिक तो तय ही है । राहुल गांधी या आईएनडीआईए को अगर नरेनद्र मोदी को चुनौती देनी है तो उनको एक परिपकव राजनीतिक चेहरा ढूंढकर उसपर सभी दलों के बीच सहमति बनानी होगी । उस नेता को अपनी नीतियों और विजन को जनता के सामने रखना होगा । आईएडीआईए ने अबतक दो-ढाई दिन ही काम किया है । विपक्षी गठबंधन की तरफ से हाल ही में एक बैठक आहदूत करने का समाचार आया थिा लेकिन अज्ात कारणों से बैठक ्टाल दी गई । आमचुनाव में छह महीने से भी कम समय बचा है । भाजपा अपनी चुनावी तैयारियां कर चुकी है लेकिन विपक्षी गठबंधन को बहुत कुछ करना शेष है । अगर विपक्ष ने समय का सदुपयोग नहीं किया तो परिणाम हैट्रिक की ओर ही जाता दिख रहा है ।
( साभार )
fnlacj 2023 31