Dec_2023_DA | Page 30

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यही विशलेरक यह कहते हुए नहीं थिकते थिे कि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में मतदान का पै्टन्म अलग होता है । ्मरणीय है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मधयप्रदेश , राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव में हार मिली थिी । लेकिन अगले ही वर्ष 2019 में जब लोकसभा का चुनाव हुआ तो भाजपा को 2014 में मिली सी्टों से अधिक सी्टें प्रापत हुईं । इसी तरह से दिलली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बंपर जीत मिली थिी लेकिन लोकसभा चुनाव में सातों सी्ट पर भाजपा ने जीत का परचम लहराया । इससे समझा जा सकता है कि आंकड़ों से संकेत तो मिल
सकते हैं लेकिन उसे परिणाम का स्टीक आकलन नहीं लग सकता है ।
लोकसभा चुनाव में जनता यह तय करती है कि कौन सा नेता ऐसा है जो राषट्रीय नेतृतव प्रदान कर सकता है । वैसशवक मंच पर राषट्रीय हित को मजबदूती से पेश कर सकता है । पदूरे देश को साथि लेकर चल सकता है और जिसकी नीतियों से देश का विकास होगा । किस नेतृतव में स्थायितव और स्थिरता प्रदान करने की क्षमता है । वर्तमान राजनीति परिदृशय में नरेनद्र मोदी भाजपा के सर्वमानय नेता हैं और पार्टी 2024 का लोकसभा चुनाव मोदी के नेतृतव में लड़ेगी । विपक्ष में कांग्ेस पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है और
उसकी उपस्थिति हर राजय मैं है । कांग्ेस पार्टी के अधयक्ष भले ही मसललकार्जुन खड़गे हैं लेकिन अगर प्रधानमंत्री बनने की नौबत आई तो राहुल गांधी ही आगे आएंगे । आईएनडीआईए में भी सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण कांग्ेस का नामित नेता ही उसका नेतृतव कर सकता है । यहां भी राहुल गांधी का ही नाम आ सकता है ।
इस बात की संभवाना कम है कि राहुल गांधी किसी अनय के नेतृतव में 2024 के लोकसभा चुनाव मैदान में जाएं । राहुल गांधी के कुछ ्वयंभदू सलाहकार और गठबंधन के कुछ दल राहुल गांधी के नाम पर असहमति जता सकते हैं , लेकिन जिस प्रकार अनय दलों के नेताओं
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