विवाह इस वयवस्था में निषेध होते हैं । सामाजिक विद्ेर और घृणा के प्रसार से इस वयवस्था को बल मिलता है ।
उललेखनीय है कि इन भेदभावों के खिलाफ उनहोंने वयापक आंदोलन शुरू करने का फैसला किया । उनहोंने सार्वजनिक आंदोलनों और जुलदूसों के द्ारा , पेयजल के सार्वजनिक संसाधन समाज के सभी लोगों के लिये खुलवाने के साथि ही उनहोंने अछूतों को भी मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिये भी संघर्ष किया ।
महिलाओं से संबंधित विचार : डॉआंबेडकर भारतीय समाज में स्त्रयों की हीन दशा को लेकर काफी चिंतित थिे । उनका मानना थिा कि स्त्रयों के सममानपदूव्मक तथिा ्वतंत्र जीवन के लिए शिक्षा बहुत महतवपदूण्म है । डॉ आंबेडकर ने हमेशा ्त्री- पुरुष समानता का वयापक समथि्मन किया । यही कारण है कि उनहोंने ्वतंत्र भारत के प्रथिम विधिमंत्री रहते हुए ‘ हिंददू कोड बिल ’ संसद में प्र्तुत किया और हिन्दू स्त्रयों के लिए नयाय सममत वयवस्था बनाने के लिए इस विधेयक में उनहोंने वयापक प्रावधान रखे । उललेखनीय है कि संसद में अपने हिन्दू कोड बिल मसौदे को रोके जाने पर उनहोंने मंत्रिमंडल से इ्तीफा दे दिया । इस मसौदे में उत्तराधिकार , विवाह और अथि्मवयवस्था के कानदूनों में लैंगिक समानता की बात कही गई थिी । दरअसल ्वतंत्रता के इतने वर्ष बीत जाने के पशरात वयावहारिक धरातल पर इन अधिकारों को लागदू नहीं किया जा सका है , वहीं आज भी महिलाएँ उतपीड़न , लैंगिक भेदभाव हिंसा , समान कार्य के लिए असमान वेतन , दहेज उतपीड़न और संपत्ति के अधिकार ना मिलने जैसी सम्याओं से जदूझ रही हैं । इस संदर्भ में धयान देने वाली बात है कि हाल ही में
समान नागरिक संहिता का प्रश्न पुनः उठाया गया है । उसका वयापक पैमाने पर विरोध किया गया , जबकि बाबा साहब आंबेडकर ने समान नागरिक संहिता का प्रबल समथि्मन किया थिा ।
शिक्षा संबंधित विचार : डॉ आंबेडकर शिक्षा के महतव से भली-भाँति परिचित थिे । दरअसल अछूत समझी जाने वाली जाति में जनम लेने के चलते उनहें अपने स्कूली जीवन में अनेक अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ा थिा । उनका विशवास थिा कि शिक्षा ही वयसकत में यह समझ विकसित करती है कि वह अनय से अलग नहीं है , उसके भी समान अधिकार हैं । उनहोंने एक ऐसे राजय के निर्माण की बात रखी , जहाँ सम्पूर्ण समाज शिक्षित हो । वे मानते थिे कि शिक्षा ही वयसकत को अंधविशवास , झदूठ और आडमबर से ददूर करती है । शिक्षा का उद्ेशय लोगों में नैतिकता व जनकलयाण की भावना विकसित करने का होना चाहिए । शिक्षा का ्वरूप ऐसा होना चाहिए जो विकास के साथि- साथि चरित्र निर्माण में भी योगदान दे सके । डा . आंबेडकर के शिक्षा संबंधित यह विचार आज शिक्षा प्रणाली के आदर्श रूप माने जाते हैं । उनहीं के विचारों का प्रभाव है कि आज संविधान में शिक्षा के प्रसार में जातिगत , भौगोलिक व आदथि्मक असमानताएँ बाधक न बन सके , इसके लिए मदूलअधिकार के अनु्छेद 21-A के तहत शिक्षा के अधिकार का प्रावधान किया गया है , जो उनकी प्रासंगिकता को वर्तमान परिप्रेक्य में प्रमाणित करती है ।
अधिकारों को लेकर विचार : डा . आंबेडकर अधिकारों के साथि-साथि कर्तवयों पर बल देते थिे । उनका मानना थिा कि वयसकत को न सिर्फ अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए जागरूक
होना चाहिए , अपितु उसके लिए प्रयत्शील भी होना चाहिए , लेकिन हमें इस सतय को नहीं भदूलना चाहिए कि इन अधिकारों के साथि-साथि हमारा देश के प्रति कुछ कर्त्तवय भी है । अधिकारों को लेकर उनके यह विचार वर्तमान समय में और जयादा महतवपदूण्म हो जाते हैं । दरअसल वर्तमान विशव में सरकारें अपने नागरिकों को विकास के समान अवसर प्रापत करने के लिए कुछ मौलिक अधिकार प्रदान करती हैं , हालाँकि मौलिक अधि कारों के साथि-साथि मौलिक कर्त्तवयों की भी बात की जाती है ।
श्दमक वर्ग के लिए कार्य : बाबा साहेब सिर्फ अछूतों , महिलाओं के अधिकार के लिए ही नहीं , बसलक संपदूण्म समाज के पुनर्निर्माण के लिए भी प्रयासरत रहे । उनहोंने मजददूर वर्ग के कलयाण के लिए उललेऽनीय कार्य किये । पहले मजददूरों से प्रतिदिन 12-14 घं्टों तक काम लिया जाता थिा । इनके प्रयासों से प्रतिदिन आठ घं्टे काम करने का नियम पारित हुआ । इसके अलावा उनके प्रयासों से मजददूरों के लिए इंडियन ट्रेड यदूदनयन अधिनियम , औद्ोदगक विवाद अधिनियम तथिा मुआवजा आदि से भी सुधार हुए । उललेखनीय है कि उनहोंने मजददूरों को राजनीति में सदकय भागीदारी करने के लिए प्रेरित किया । वर्तमान के लगभग जयादातर श्म कानदून बाबा साहेब के ही बनाए हुए हैं , जो उनके विचारो को जीवंतता प्रदान करते हैं ।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि डॉ आंबेडकर के सामाजिक चिनतन में अ्पृशयों , दलितों तथिा शोषित वगमों के उत्थान के लिए काफी संभावना झलकती है । वे उनके उत्थान के माधयम से एक ऐसा आदर्श समाज स्थापित करना चाहते थिे , जिसमें समानता , ्वतंत्रता तथिा भ्रातृतव के ततव समाज के आधारभदूत दसद्ांत हों । अगर इनके विचारों को अमल में लायें तो समाज की जयादातर सम्याएँ जैसे वर्ण , जाति , लिंग , आदथि्मक , राजनैतिक व धार्मिक सभी पहलुओं पर पैनी नजर रखी जा सकती है । साथि ही न्यू इंडिया के लिए एक नया मॉडल व डिजाइन भी तैयार किया जा सकता है । �
fnlacj 2023 13