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हिंददू समाज और राष्ट्र का सशक्ीकरण चाहते थे डॉ . आं बेडकर

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र्तमान समय में राजनीतिक सुविधा के हिसाब सरे हर कोई डॉ . आंबरेडकर को अपनरे अपनरे तरीके सरे परिभाषित करनरे में लगा हुआ है , कुछ उनहें दरेवता बनानरे में लगरे हैं तो कुछ उनहें केवल दलितों की बपौती मानतरे हैं और कई उनहें हिनदुओं के विरोधी नायक के रूप में रखतरे हैं । कुछ लोग तो आंबरेडकर के धर्म-परिवर्तन के सही मर्म को समझरे बिना ही आज दलितों को हिंदुओं सरे अलग
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