में प्रवरेश के लिए आंदोलन किया । हालांकि कुछ कांग्रेस नरेताओं के कहनरे पर ही उनहोंनरे वाईकम आंदोलन का नरेतृतव सवीकार किया , जो मषनदरों की ओर जानरे वाली सड़कों पर दलितों के चलनरे की मनाही को हटानरे के लिए संघर्षरत् था , मगर बाद में युवाओं के लिए कांग्रेस संचालित प्रतशक्ण शिविर में रिाह्मण प्रतशक्कों द्ारा गैर-रिाह्मण छात्ों के प्रति भरेदभाव बरततरे दरेख उनका मन कांग्रेस सरे उखडऩरे लगा । उनहोंंनरे कांग्रेस नरेताओं के समक् दलितों के लिए आरक्ण का प्रसताव भी रखा , जिसरे नामंजूर कर दिया गया , इसलिए उनहोंनरे कांग्रेस छोड़ दी । इसी बीच महातमा गांधी नरे परेरियार विरोधियों को समझाया कि उनकी बात मानकर दलितों को मंदिरों के रासतों पर चलनरे की इजाजत दरे दी जाए , नहीं तो परेरियार दलितों के मंदिर प्रवरेश के लिए भयंकर आंदोलन करेंगरे । चूंकि पिछड़ा-दलित समुदाय परेरियार के साथ
था , इसलिए कांग्रेस की साख खतम हो रही थी और गांधी को कांग्रेस की साख बचानरे की चिंता थी । गांधी भी परेरियार के साथ नहीं िरे ।
इसी तरह कोलहापुर के साहूजी महाराज , जो खुद आज के ओबीसी समुदाय सरे आतरे िरे , दलितों के असली नायक साबितहुए । वरे कोलहापुर के राजा िरे । उनहोंनरे अपनरे राजय में सबसरे पहलरे दलितों-पिछड़ों के लिए 51 प्रतिशत आरक्ण दरेकर हर क्रेत् में समतामूलक समाज की सिापना की शुरुआत की । उनहें आरक्ण का जनक भी कहा जाता है , कयोंकि साहूजी महाराज नरे ही सबसरे पहलरे भारतवर्ष में दलितों- पिछड़ों को आरक्ण दरेनरे की शुरुआत की । वरे महिलाओं के लिए शिक्ा सहित कई प्रगतिशील गतिविधियों के साथ भी जुड़े िरे । उनहोंनरे गरीबों , किसानों , मजदूरों , दबरे-कुचलरे लोगों को प्रशासन में भागीदारी दी । साहूजी महाराज शासन-प्रशासन , धन , धरती , वयापार , शिक्ा ,
संस्कृति व सममान-प्रतिष्ठा सभी क्षेत्ों में वरे आनुपातिक भागीदारी के प्रबल समर्थक िरे । उनका नारा भी था ‘ जिसकी जितनी संखया भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी , जिनकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी , जिसकी जितनी भागीदारी , उसकी उतनी जिम्मेदारी ।’
जहां तक ओबीसी नायकों की भारतीय समाज तथा सातहषतयक , अकादमिक अधययनों में वह पहचान नहीं बन सकी , जिसके वरे हकदार िरे , का सवाल है तो , यह समझनरे की जरूरत है कि ओबीसी का कोई अकादमिक केंद्र नहीं रहा है । हालांकि आज के दौर में दरेखा जाए तो ओबीसी वैचारिक प्रतिबद्धता के साथ हर जगह मौजूद हैं । जहां तक साहितय जगत में ओबीसी के हाशिए पर रहनरे का सवाल है , तो राजेंद्र यादव सरे पहलरे किसी नरे इस पर बात ही नहीं की । हालांकि मौजूदा समय में काफी लोगों नरे इस दिशा में पहल लरेनी शुरू कर दी है । �
fnlacj 2022 23