Dec 2022_DA-1 | Page 19

आदिवासी क्ेत्रों में ईसाई मिशनरियों की संलिप्तता को रोकने की आवश्यकता

हरेंद्र प्रताप dsa

द्र सरकार के सामाजिक नयाय और अधिकारिता मंत्ालय नरे सुप्रीम कोर्ट में दिए गए अपनरे एक हलफनामरे में मतांतरित ईसाइयों और मुषसलमों को दिए जानरे वालरे आरक्ण का विरोध किया है । वर्ष 1956 में राजय पुनर्गठन के बाद 1961 सरे 2011 के बीच हुई जनगणना में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के राजयवार उपलबध आंकड़े बता रहरे हैं हमाररे दरेश का अनुसूचित और आदिवासी समाज ईसाई मिशनरियों के निशानरे पर हैं । वर्ष 1961 में दरेश में जनजाति समाज के लोगों की कुल संखया 2,98,79,249 थी , जिनमें सरे 16,53,570 ईसाई बन गए िरे , जो
कुल जनजाति आबादी का 5.53 प्रतिशत था । वर्ष 2011 में दरेश में जनजाति समाज के लोगों की कुल संखया 10,45,45,716 थी जिनमें सरे 1,03,27,052 यानी 9.87 प्रतिशत ईसाई हैं । कुछ लोग कह सकतरे हैं कि विगत पांच दशकों में ईसाइयों की जनसंखया बढ़ी नहीं तो फिर यह ‘‘ मतांतरण ’’ का शोर कयों मचाया जा रहा है ? दरअसल ईसाई मिशनरियां दरेश के जनजाति समाज को धयान में रखकर एक दीर्घकालिक योजना को तक्याषनवत करनरे में लगी हुई नजर आती हैं ।
वर्ष 1961 में दरेश की कुल ईसाई जनसंखया में केरल का हिससा 33.43 प्रतिशत तथा मिजोरम , मरेघालय , नगालैंड , मणिपुर , अरुणाचल
प्रदरेश का हिससा 7.93 प्रतिशत था । अब केरल का हिससा घटकर 22.07 प्रतिशत रह गया है तथा उपरोकत पांच राजयों का हिससा बढक़र 23.38 प्रतिशत हो गया है । जनसंखया की दृष्टि सरे पूववोत्र के राजय भलरे छोटे राजय मानरे जातरे हैं , पर सामारिक , आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि सरे यरे दरेश के लिए महतवपूर्ण हैं । पूववोत्र के मिजोरम , नगालैंड और मरेघालय आज ईसाई बहुल राजय हो गए हैं । अरुणाचल तथा मणिपुर में जिस तरेजी सरे मतांतरण हो रहा है , उसके आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि आनरे वालरे एक-दो दशकों में यरे राजय भी ईसाई बहुल हो जाएंगरे । असम के दिमा हासो में 29.57 तो काबटी जिलरे में 16.49 प्रतिशत तक ईसाई
fnlacj 2022 19