ouoklh lekt
जनसंखया हो गई है । चिंता की बात यह है कि कुल जनजाति आबादी में सरे नगालैंड में 98.21 प्रतिशत , मणिपुर में 97.42 प्रतिशत , मिजोरम में 90.07 प्रतिशत , मरेघालय में 84.42 प्रतिशत तथा अरुणाचल प्रदरेश में 40.92 प्रतिशत लोग ईसाई बन गए हैं । पूववोत्र के ही असम में 12.75 प्रतिशत तथा तत्पुरा के 13.11 प्रतिशत जनजाति बंधु ईसाई बन गए हैं । अंडमान के 92.92 प्रतिशत और गोवा के 32.67 प्रतिशत जनजाति बंधु ईसाई बन गए हैं । जनजाति प्रभाव वालरे झारखंड में भी 15.47 प्रतिशत जनजाति बंधु ईसाई बन गए हैं और 46.41 प्रतिशत नरे अपनरे को ‘ अनय ’ कालम में लिखवाया है । जो ‘ अनय ’ हैं , वरे कल ईसाई हो जातरे हैं । अरुणाचल प्रदरेश में 1971 में ईसाई 0.78 प्रतिशत तथा ‘ अनय ’ 63.45 प्रतिशत िरे । वर्ष 2011 में अरुणाचल में ‘ अनय ’ घटकर 26.20 प्रतिशत तो ईसाई बढक़र 30.26 प्रतिशत हो गए । नगालैंड में भी 1951 में ईसाई 46.04 प्रतिशत तथा ‘ अनय ’ 49.50 प्रतिशत िरे । अब वहां ‘ अनय ’ 0.16 प्रतिशत तथा ईसाई 87.92 प्रतिशत हैं ।
यह एक तथय है कि किसी क्रेत् के ईसाई बहुल होतरे ही वहीं सरे हिंदुओं का पलायन भी शुरू हो जाता है । वर्ष 1981 में मिजोरम में
हिंदू 35,245 िरे , जो तीन दशक के बाद भी बढऩरे के बदलरे घटकर 30,136 रह गए हैं । इस प्रकार सरे पूववोत्र में न केवल मतांतरण , बषलक राष्ट्रांतरण भी तरेजी सरे हो रहा है । वहां दर्जनों अलगाववादी और आतंकवादी संगठन सतक्य हैं । वैसरे दरेखा जाए तो ईसाइयों द्ारा मतांतरण का षड्ंत् पूररे दरेश में चलाया जा रहा है । विगत दो जनगणना 2001 तथा 2011 के आंकड़ों को दरेखा जाए तो मुषसलम जनसंखया वृद्धि दर हिंदुओं सरे डेढ़ गुना तो भी 30 प्रतिशत के नीचरे थी , पर ईसाइयों की आबादी की वृद्धि दर कई राजयों में अप्रतयातशत थी । मात् पिछलरे दशक में यानी 2001-11 के दौरान ही ईसाइयों की जनसंखया जममू-कशमीर में 75.53 प्रतिशत , बिहार में 143.23 प्रतिशत , हरियाणा में 85.22 प्रतिशत , हिमाचल में 64.51 प्रतिशत की दर सरे बढ़ी है । एक समय ईसाई मिशनरियां जनजाति बहुल इलाकों में सतक्य थीं , लरेतकन अब वरे उन इलाकों में भी सतक्य हैं , जहां अनुसूचित जाति के लोग बड़ी संखया में हैं ।
आजादी के बाद सरे जिहादी आतंकवाद और घुसपैठ पर तो चर्चा होती रही है , पर ईसाई मिशनरियों की ओर सरे कराए जानरे वालरे मतांतरण पर जितनी चर्चा होनी चाहिए थी , उतनी नहीं हो पाई । एक बार तो चुनाव के
समय पूववोत्र के राजयों में कांग्रेस नरे यह भी एलान कर दिया था कि इन राजयों में ईसाइयत के आधार पर शासन वयवसिा का संचालन होगा । धयान रहरे कि फरवरी 2018 में नगालैंड में विधानसभा चुनाव के समय अंगामी बैपटिसट चर्च काउंसिल के कार्यकारी निदरेशक डा . वी अटसी डोलाई नरे आरोप लगाया था कि हिंदुवादी ताकतें प्रलोभन दरेकर नगा समाज में प्रवरेश कर रही हैं । ऐसरे में केंद्र सरकार नरे मतांतरित ईसाइयों और मुषसलमों को आरक्ण का लाभ दरेनरे का विरोध कर एक साहसिक कदम उठाया है । केंद्र सरकार के हलफनामरे के बाद विदरेशी ताकतें पूववोत्र को अशांत करनरे का षड्ंत् रच सकती हैं , पर पूववोत्र का समाज मूलत : दरेशभकत और जुझारू है । विगत वषषों में विकास की तरेज रफतार सरे पूववोत्र के राजयों में न केवल शांति सिातपत हुई है , बषलक एक आशा का संचार भी हुआ है । पूववोत्र की राजय सरकारें और केंद्र के बीच समनवय एवं सहयोग सरे किसी भी षड्ंत् को विफल किया जा सकता है । दरेश का एक और विभाजन न हो , इसके लिए दलीय सवाि्त सरे ऊपर उठकर राष्ट्र की एकता और अखंडता को प्राथमिकता दरेतरे हुए केंद्र सरकार का समर्थन और सहयोग समय की मांग है ।
( साभार )
20 fnlacj 2022