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जाति को तोड़ता जन कल्ाण का मंत्र
डा . देवेंद्र कुमार
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रत का चुनावी इतिहास इसका साक्ी है कि उपचुनाव तभी चर्चा में आतरे हैं , जब सत्ारूढ़ दल की हार होती है । इस दृष्टि सरे हाल में संपन्न छह राजयों के उपचुनाव परिणाम भाजपा के लिए सुखद संदरेश दरेनरे वालरे हैं । भाजपा शासित उत्र प्रदरेश में पाटटी नरे बड़े अंतर सरे जीत हासिल की और हरियाणा में कांग्रेस सरे सीट छीनी , वहीं गैर-भाजपाई दलों द्ारा शासित बिहार और ओडिशा में अपनी सीटों को बचाया । तरेलंगाना के परिणाम भी महतवपूर्ण हैं , कयोंकि यहां भाजपा 2018 के मुकाबलरे 73 हजार सरे अधिक वोट प्रापत करके कड़े मुकाबलरे के बाद हारी । आगामी
लोकसभा चुनाव की दृष्टि सरे यरे परिणाम क्षेत्ीय दलों के लिए बरेहतर नहीं । ओडिशा में दो दशकों बाद बीजद का पहली बार उपचुनाव हारना , तरेलंगाना में भाजपा का प्रमुख विपक्ी के रूप में उभरना और बिहार में अपनी सीट बचाए रखना नरेन्द्र मोदी के 2024 के दावरे को मजबूती दरेता है ।
बिहार में अगसत 2022 में महागठबंधन की सरकार बननरे के बाद पहली बार उपचुनाव हुए । मोकामा विधानसभा सीट हारनरे के बावजूद यहां भाजपा की हार का अंतर 2020 के मुकाबलरे 35 हजार वोटों सरे घट कर 16 हजार रहा । गोपालगंज में विपक्ी मतों के ध्ुवीकरण के बावजूद भाजपा जीतनरे में सफल रही । बिहार में
नीतीश कुमार के पाला बदलनरे सरे बनरे नए सामाजिक समीकरणों के कारण अनरेक राजनीतिक विश्लेषकों का आकलन है कि आगामी लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित होंगरे । इस आकलन का आधार 2015 के विधानसभा चुनाव हैं , जिनमें महागठबंधन सरे भाजपा को हार मिली थी , पर यह आकलन करतरे समय पिछलरे सात वषषों में बिहार के राजनीतिक धरातल में आए परिवर्तनों को नहीं समझा जा रहा ।
यह समझना होगा कि 2015 के चुनाव के समय केंद्र की मोदी सरकार सिर्फ एक वर्ष पुरानी थी । वहीं अब तक मोदी सरकार नरे बिहार में 32 लाख आवास , 1.2 करोड़ शौचालय ,
14 fnlacj 2022