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डॉ आंबेडकर और वीर सावरकर ने दलित हितों के लिए किया प्रयास
वीर सावरकर हमरेशा सरे जाति प्रथा सरे मुकत होकर कार्य करतरे िरे । राष्ट्रीय एकता और समरसता उनमें कूट-कूटकर भरी हुई थी । रत्ातगरी आंदोलन के समय उनहोंनरे जातिगत भरेदभाव मिटानरे का जो कार्य किया वह अनुकरणीय था । वहां उनहोंनरे दलितों को मंदिरों में प्रवरेश के लिए सराहनीय अभियान चलाया । साथ ही असपृशयता को समापत करनरे की दिशा में योगदान दिया । महातमा गाँधी नरे उस समय वीर सावरकर की इस मुहिम की प्रशंसा की थी । यही नहीं , डॉ आंबरेडकर नरे वीर सावरकर के बाररे में कहा था कि “ मैं इस अवसर का उपयोग सामाजिक सुधारों के क्रेत् में आपके कामों की प्रशंसा के लिए करता हूँ । यदि अछूतों को मुखयधारा के हिंदू समाज का हिससा बनना है तो केवल असपृशयता को समापत करना पर्यापत नहीं होगा । इसके लिए चतुर्वर्ण का अभयास समापत करना होगा । मुझरे यह कहतरे हुए
खुशी हो रही है कि आप उन कुछ लोगों में सरे हैं , जिनहोंनरे ऐसा करनरे की आवशयकता को पहचाना है ।“
महाराष्ट्र के महान समाज सुधारक महर्षि शिंदरे नरे लिखा “ मैं इस सामाजिक आंदोलन की सफलता सरे इतना प्रसन्न हूँ कि मैं भगवान सरे प्रार्थना करता हू ँ कि वह मरेरा शरेष जीवन उनहें ( सावरकर को ) दरे दें ’’ ( सतयशोधक – 5 मार्च , 1933 )। वहीं प्रसिद्ध लरेखक प्रबोधंकर ठाकररे नरे लिखा “ हिंदू एकता की आवशयकता को महसूस करनरे के बाद जाति उनमूलन का मुद्ा चाहरे जितना कठिन हो , इसरे हल करना आवशयक है । इस दिशा में सावरकर के प्रयास प्रशंसनीय हैं ।‘’( सवराजय , मुंबई , 2 सितंबर , 1936 )। १४ अप्रैल , 1942 को बाबासाहब अम्बेडकर जब अपना 50वां जनमतदवस मना रहरे िरे , तब उनहें वीर सावरकर नरे यरे सन्देश भरेजा- “ वयषकततव , तवद्ता , संगठनचातुर्य व नरेतृतव करनरे की क्मता के कारण डॉ आंबरेडकर आज दरेश के बड़े आधार बनतरे , परनतु असपृशयता का उच्चाटन करनरे तथा असपृशय वर्ग में आतमतवशवास व चरेतनय निर्माण
करनरे में उनहोंनरे जो सफलता प्रापत की है , उससरे उनहोंनरे भारत की बहुमूलय सरेवा की है । उनका कार्य चिरंतनसवरूप का , सवदरेशाभिमानी व मानवतावादी है । डॉ आंबरेडकर जैसरे महान वयषकत का जनम तथाकथित असपृशय जाति में हुआ है , यह बात असपृशयों में वयापत निराशा को समापत कररेगी व वरे लोग बाबासाहब के जीवन सरे तथाकथित सपृशयों के वर्चसव को आवहान दरेनरे वाली सरूतत्त प्रापत करेंगरे । डॉ अम्बेडकर के वयषकतव के कार्य के बाररे में पूरा आदर रखतरे हुए मैं उनकी दीर्घायु व सवसि जीवन की कामना करता हूँ ।”
समाजिक समरसता को लरेकर सावरकर द्ारा कितनरे गंभीर प्रयास कियरे जा रहें हैं बाबा साहब को इसकी पूरी जानकारी थी , आगरे चलकर जिसको उनहोंनरे वयकत भी किया । जब रत्ातगरी के परेठ किलरे में भागोजी सरेठ कीर द्ारा मंदिर बनवाया गया तो उसका उद्धघाटन करनरे के लिए वीर सावरकर नें बाबा साहब आंबरेडकर को आग्हपूर्वक निमंत्ण भरेजा । डॉ आंबरेडकर नें इस निमंत्ण पत् का उत्र दरेतरे हुए लिखा- ‘ पूर्व
12 fnlacj 2022