विजयादशमी के दिन संघ की नींव रखी थी । उनहोंनरे प्रांरभ सरे ही संघ को सतक्य राजनीति सरे दूर सिर्फ सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों तक सीमित रखा । डॉ हरेडगरेवार का मानना था कि संगठन का प्राथमिक काम हिंदुओं को एक धागरे में पिरो कर एक ताकतवर समूह के तौर पर विकसित करना है । लरेतकन बाद में डॉ मुंजरे की सलाह पर संघ नरे अपनरे सवयं सरेवकों को एक सैनय संघठन के रूप में प्रतशतक्त करनरे करनरे का कार्य प्रारमभ किया ।
डॉ मुंजरे 1931 में इटली की यात्ा पर गए िरे । उनकी यात्ा मुसोलिनी के आँख के आपररेशन के लिए थी । कारण यह था कि मुसोलिनी किसी अनय दरेश के डाकटर सरे अपना आपररेशन नहीं करना चाहतरे िरे कयोंकि उनहें शक था कि आपररेशन के बहानरे विदरेशी डॉकटर उनकी हतया कर सकतरे हैं । ऐसरे में उनहें डॉ मुंजरे के विषय में जानकारी मिली तो उनहोंनरे डॉ मुंजरे को बुलाकर अपनी आँख का आपररेशन करवाया । उसी दौरान डॉ मुंजरे की मुलाकात मुसोलिनी के साथ ही उनके कई समर्थकों सरे हुई । प्रखर राष्ट्रवाद
की भावना को डॉ मुंजरे नरे वही पर समझा और फिर वापस भारत आनरे के बाद डॉ हरेडगरेवार सरे उनहोंनरे इटली की तरह ही राष्ट्रीय सवयं संघ का गठन प्रखर राष्ट्रवादी संगठन के रूप में करनरे के लिए कहा । उसके बाद सरे ही संघ नरे अपनरे सवयं सरेवकों को एक सैनय संघठन के रूप में प्रतशतक्त करनरे करनरे का कार्य प्रारमभ किया । वामपंथियों का षड्ंत्र
इटली में फासिसट अर्थ प्रखर राष्ट्रवादी या अतिराष्ट्रवादी होता है । ततकालीन समय में समपूण्त विशव में या तो तरिटेन की कॉलोनी थी या फिर इटली की । ऐसरे में वर्चसव की लड़ाई छिड़ी तरिटेन और इटली के बीच में जारी थी । मुसोलिनी इटली के वर्चसव के लिए लड़ रहरे िरे । डॉ मुंजरे को मुसोलिनी नरे तरिटिश सत्ा सरे लड़नरे के लिए कहा कयोंकि उनको ऐसा लगता था कि अगर भारत में तरिटिश सत्ा समापत होती है तो भारत इटली के करीब होगा । डॉ मुंजरे नरे डॉ हरेडगरेवार को ऐसरे सवयं सरेवक तैयार करनरे के लिए कहा जो सैनय रूप सरे प्रतशतक्त
हो जिससरे अंग्रेजों की सरेना का सामना किया जा सके । अब यहां पर वामपंथियों की कुटिलता को समझनरे की आवशयकता है । इटली के फासिसट शबद को वामपंथियों नरे फांसीवाद के रूप में प्रचारित करनरे का कार्य किया और राष्ट्रीय सवयं सरेवक संघ को भी फांसीवाद सरे जोड़ दिया । जबकि वासततवकता यह थी कि खिलाफत आंदोलन के रूप में मुसलमान सवयं को तुकटी के खिलाफ सरे जोड़नरे के बाद अपनी असलियत को उजागर कर चुके िरे । ऐसरे में भारत में हिनदुओं के प्रतशतक्त युवा समूह की आवशयकता समय की मांग थी । ऐसरे में डॉ आंबरेडकर , डॉ मुंजरे , वीर सावरकर और डॉ हरेडगरेवार सभी आपस में मिलकर हिनदुओं के प्रतशतक्त युवा समूह को तैयार करनरे में जुटे िरे , जो बाद में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई में सतक्य हुए । डॉ मुंजरे मानतरे िरे कि हिंदुओं का सैनयकरण होना चाहिए । मुसोलिनी सरे मिलकर लौटनरे के बाद उनहोंनरे हरेडगरेवार के साथ मिलकर सवंयसरेवकों के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग अनिवार्य कर दी थी ।
fnlacj 2022 11