Deepika Dwivedi
(शीर्षक-"बसंत " / सप्ताह 1)
"ऋतु बसंती आई "
महक उठी फुलवारी हर-घर
खुशहाली अब छाई है
पतझड़ का अवसाद मिटा
जब ऋतु ये बसंती आई है
कसक भरा आँगन अब महका
कली-कली मुस्काई है
सुन-सुन कर गुंजार भ्रमर का
मन ही मन शरमाई है
मौर खिले अमराई में
कोयल ने कुहुक लगाई है
धरा वधू की पीली चुनरियाँ
लहर-लहर लहराई है
रिक्त पड़ी डाली पर अब
पल्लव की बारी आई है
मन में नव उल्लास जगा
मदन ने अगन लगाई है
स्वागत थाल सजाले सखी
ऋतुराज की सेना आई है
दीपिका "दीप "