Basant 10 Feb 3013 | Page 19

Ashok Aggarwal

बसंत में .....

मौसम भी हो गया है सुहाना......बसंत में

देखो जी....मुझको छोड़ न जाना बसंत में

जूही,गुलाब,केतकी,चम्पक....चहक उठे

खुशबू का खुल गया है..खजाना बसंत में

मन में मसोस कर रखा जो माह से कई

तुमको सुनाउंगी........वो तराना बसंत में

पुरवाई भेज दूंगी........बुलाने तुम्हें पिया

अब के बरस तो...लौट ही आना बसंत में

धानी धरा सी............धूप नहाई हुई हूँ मैं

पीली चुनर ही मुझको.....उढ़ाना बसंत में