Umesh Katara
शीर्षक--बसंत सप्ताह--1
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मैं करता हूँ करबद्ध निवेदन
हे बसंत ऋतुराज
क्यों रुखा सूखा पडा हुआ है
मेरा भारत आज
आजाओ सुख शान्ति बनकर
देशद्रोही पर क्रान्ति बनकर
देशभक्त खो गये कहीं पर
भगतसिंह सो गये कहीं पर
मेरा रंगदे बसंती चोला फिरसे
वही गीत वही साज
मैं करता......
नेता हिन्द चमन को लूट रहे
कैसे बन भेडिये भूखे टूट रहे
जनता रोती है पतझड सी
संसद इतराती है अल्हड सी
अब नहीं गर्व की बात कोई
जिस पर करलें नाज
मैं करता.......
कोई फसल नयी लहलाहो तुम
फिर सुखदेव गुरु को लाओ तुम
बूढे अजगर लील रहे देश को
कैसे भी बदलो इस परिवेश को
दुनिया ऊपर फहरे तिरंगा
हो हिन्द का राज
मैं करता हूँ करबद्ध निवेदन
हे बसंत ऋतुराज
क्यों रुखा सूखा पडा हुआ है
मेरा भारत आज
उमेश कटारा