Basant 10 Feb 3013 | Page 13

नीलू प्रेम

‎(शीर्षक----"बसंत " / सप्ताह 1) पर एक प्रयास 1सागर सी गहरी तेरी आँखे

रूप तेरा झील में खिला कमल

देख चाँद कहे चांदनी से

कवि की कल्पना या कोई ग़ज़ल

ये कैसा सम्मोहन तेरा

मिलने को हो रहे सब बेकल

देख यह छटा निराली .............................

स्वागत करे ऋतुराज देव करे पुष्प वर्षा

ये देख सब बसंत की रानी का मन हर्षा

स्वर्ण रंग सी आभा तेरी

अंग पर दमके वस्त्र सुनहरा

पीले पीले फूलो का तुमने

बालो में पहना है गज़रा

पाने को स्पर्श तेरा,दौड़ा

भौरा तितली बसंती बयार

देख यह छटा निराली .......................

स्वागत करे ऋतुराज, देव करे पुष्प वर्षा

ये सब देख, बसंत की रानी का मन हर्षा

कोयल की कूक, भौरों का गुंजन

इनके कलरव से गुँज उठा सारा चमन

सरसों के फूलों से,सज गया उपवन

रंग बिरंगी तितलियां करती है वंदन

"प्रेम" में डूबा धरती,अम्बर,सब-जन

देख यह छटा निराली ..................

स्वागत करे ऋतुराज देव करे पुष्प वर्षा

ये देख सब बसंत की रानी का मन हर्षा

माँ शारदे सी वाणी उनकी

माँ दुर्गा सा मुख दिव्यमान

विष्णु का लिए चक्र सुदर्शन

सिंह पर हो कर सवार

करती सब -जन का कल्यान

देख यह छटा निराली ................

स्वागत करे ऋतुराज देव करे पुष्प वर्षा

ये देख सब बसंत की रानी का मन हर्षा

...................................नीलू प्रेम