Basant 10 Feb 3013 | Page 11

Dinesh Verma

शीर्षक-"बसंत " / सप्ताह 1

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श्रृष्टि रचना के बाद सोच में विधाता पड़े,

वाणी के बिना तो सारी श्रृष्टि ही अधूरी है.

जल थल व्योम सब रहें न यूं मूक अब,

जड़ता में चेतना का भाव भी जरुरी है.

यही सोच के बसंत पंचमी का दिन चुन,

ब्रह्म ने उतार माँ को रचना की पूरी है.

स्वर पा के प्रकृति भी झूम झूम नाच उठी,

तम की गहनता ने कर ही ली दूरी है.

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-दिनेश वर्मा.