Basant 10 Feb 3013 | Page 10

Prahlad Pareek

‎.पीली सरसों फूल रही बहती मंद बयार

पिया न आये अब तलक मन उचाट बेजार

प्रीत हिलोरें ले रही बहती ज्यों सागर का ज्वार

रुत मिलने की आ गयी कहती मंद बयार

कल कल निर्झर बह रही फैली गंध सुवास

कोयल कूकी मधुर स्वर पिया मिलन की आस

मन मुटाव बढ़ रहे, है मूल्यों का ह्रास

कहे बसंत बस अंत नहीं जगे प्यार की प्यास

तन मन जीवन को मिले एक नया अहसास

खुशियों से भरपूर हो प्यारा ये मधुमास

प्रहलाद पारीक