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सुधार पर संयु्त संसदीय सक्मक्त( 1933-34) ने धारा-93 के प्रावधािनों की वयाखया की, क्जसमें प्रांतीय सरकार की मशीनरी के पूर्णतः या आंक्शक रूप से धवसत हो जाने की न्स्क्त में राजयपाल को प्रांत के प्रशासन की एकमारि क्जममेदारी संभालने की समान शन््त प्रदान की गई थी ।
संक्वधान सभा अनुचछेद-278 और अनुचछेद-356 से खुश नहीं थी । श्री एच. वी. कामथ ने अनुचछेद में ' अन्यथा ' शबद पर आपत्ति जताई और कहा क्क '' कल से इन सभी अनुचछेदनों और आज पेश क्कए गए संशोधन को पढ़िे के बाद, मुझे ऐसा लगता है क्क हम ईमानदारी से काम नहीं कर रहे हैं ।'' इसक्लए उत्हनोंिे ' अन्यथा ' शबद को हटाने के क्लए एक संशोधन पेश क्कया । अपने तीखे भाषण में श्री कामथ ने कहा क्क '' यह एक गलत लेन-देन है, जो इस संक्वधान में प्रदान की गई सीक्मत प्रांतीय सवायत्ता की
योजना को भी नकारता है, और मैं ईशवर से प्रार्थना करूंगा क्क वह इस सदन को इस लेन- देन की मूर्खता, मूर्खता और आपराक्धक प्रककृक्त को समझने के क्लए पर्यापत बुक्द्ध प्रदान करें ।''
श्री कामथ चाहते थे क्क राष्ट्रपक्त केवल राजयपाल की रिपोर्ट पर ही कार्रवाई करें । उत्हनोंिे यह भी कहा क्क अगर संशोधन सवीकार नहीं क्कया गया, तो ' हम अपने रासते में ऐसे जाल और फंदनों के क्लए खुद को खुला छोड़ रहे हैं क्जिमें हम क्कसी भी तरह से नहीं फँसेंगे ।' यह सवीकार करना होगा क्क श्री कामथ भक्वष्यव्ता साक्बत हुए । तक्मलनाडु में करुणाक्िक्ध मंत्रिमंडल को राष्ट्रपक्त वेंकटरमन ने प्रधानमंरिी चंद्रशेखर की सलाह पर बर्खासत कर क्दया था, जबक्क राजयपाल ने कोई रिपोर्ट नहीं भेजी थी । राजयपाल बरनाला ने एक प्रेस साक्षातकार में सार्वजक्िक रूप से कहा क्क उत्हनोंिे मंरिालय और क्वधानसभा को भंग करने के क्लए कोई रिपोर्ट नहीं भेजी थी ।
डा. पी. एस. देशमुख ने बताया क्क '' मेरे क्वद्ाि मित्र, डा. आंबेडकर ने अनुचछेद-278 और अनुचछेद-356 के समर्थन में अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई संक्वधािनों का हवाला क्दया है । सौभागय से या दुर्भागय से, ऑस्ट्रेलियाई या अमेरिकी संक्वधान में क्कसी भी आपातकाल का उललेख नहीं है । उत्हनोंिे संभवतः यह दर्शाने के क्लए उन्हें उद्धृत क्कया क्क जहां तक इकाइयनों का संबंध है, केंद्र की ओर से कोई अतिक्रमण नहीं होगा । यक्द हम चाहते हैं क्क यह संक्वधान लागू हो, तो केंद्र को प्रांतनों की सवायत्ता का सममाि करना होगा, चाहे हम ऐसा सपष्ट रूप से कहें या नहीं । इसक्लए माननीय डॉक्टर द्ारा क्वदेशी संक्वधान से समर्थन प्रापत करने का कोई मतलब नहीं था । यक्द वह पहली बार सामने आई पूरी योजना के क्लए कोई उपयु्त समानांतर उदाहरण प्रसतुत कर पाते, तो यह कुछ सांतविा देने वाली बात होती । ऐसा वह नहीं कर सके । यहां हम प्रांतीय गवर्नरनों और प्रांतीय प्रशासिनों की सभी शन््तयां छीन रहे हैं; मुझे नहीं लगता, महोदय, क्क यह बुक्द्धमानी है या अचछी तरह से काम करने की संभावना है या यह सुदृढ़ और
लाभकारी प्रशासन के क्हत में है ।''
यह सच है क्क सर अललादी ने भी इन प्रावधािनों का बचाव करने की पूरी कोक्शश की । 5 प्रावधािनों का बचाव करते हुए डा. आंबेडकर ने कहा क्क '' मैं अमेरिकी संक्वधान में क्िक्हत अनुचछेद की ओर धयाि आकक्ष्वत करना चाहूंगा, जहां संयु्त राजय अमेरिका का कर्तवय सपष्ट रूप से संक्वधान के गणतांत्रिक सवरूप को बनाए रखना बताया गया है । जब हम कहते हैं क्क संक्वधान को इस संक्वधान में क्िक्हत प्रावधािनों के अनुसार बनाए रखा जाना चाक्हए, तो हमारा वयावहारिक रूप से वही आशय है जो अमेरिकी संक्वधान का है, अर्थात इस संक्वधान में क्िर्धारित संक्वधान के सवरूप को बनाए रखा जाना चाक्हए ।''
डा. आंबेडकर के प्रक्त पूरे सममाि के साथ, यह कहना जरूरी है क्क उनका सपष्टीकरण अक्वशवसनीय है । प्रारूप सक्मक्त के अधयक्ष होने के नाते उन्हें बचाव करना ही था, इसक्लए उत्हनोंिे बचाव क्कया । आपातकालीन प्रावधािनों से संबंक्धत अनुचछेदनों पर अपनी अंक्तम क्टप्पणियनों में डा. आंबेडकर सपष्ट थे । उत्हनोंिे कहा क्क '' उस आम बहस के संबंध में क्जसमें यह सुझाव क्दया गया है क्क इन अनुचछेदनों का दुरुपयोग क्कया जा सकता है, मैं कह सकता हूँ क्क मैं इस बात से पूरी तरह इनकार नहीं करता क्क इन अनुचछेदनों का दुरुपयोग क्कया जा सकता है या राजनीक्तक उद्ेश्यों के क्लए इनका इसतेमाल क्कया जा सकता है । लेक्कि यह आपत्ति संक्वधान के हर उस भाग पर लागू होती है जो केंद्र को प्रांतनों की अवहेलना करने की शन््त देता है । वासतव में, मैं अपने माननीय मित्र श्री गुपते द्ारा कल वय्त की गई भावनाओं से सहमत हूँ क्क हमें जो उक्चत अपेक्षा करनी चाक्हए वह यह है क्क ऐसे अनुचछेद कभी लागू नहीं हनोंगे और वे एक मृत परि बनकर रह जाएंगे । यक्द इन्हें लागू क्कया भी जाता है, तो मुझे आशा है क्क राष्ट्रपक्त, क्जत्हें यह शन््तयां प्रापत हैं, प्रांतनों के प्रशासन को वासतव में क्िलंक्बत करने से पहले उक्चत सावधानी बरतेंगे । मुझे आशा है क्क सबसे पहले वह उस प्रांत को चेतावनी देंगे क्जसने गलती
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