विचार
समाज के संरचनात्क पक्षों को ननधमारित करता है धर्म: डा. आंबेडकर
डा. कृषण गोपाल
अपनी क्वलक्षण क्षमताओं के आधार पर एक क्वक्शष्ट स्ाि बना चुके डा. भीमराव अमबेडकर का जीवन अनेक प्रकार की क्वक्वक्धताओं से परिपूर्ण है । उनकी सवा्वक्धक ख्याति एक संक्वधान क्िर्माता तथा समाज के उपेक्क्षत और वंक्चत वर्ग के अक्धकारनों की रक्षा हेतु संघर्षरत योद्धा के रूप में ही अक्धक है । उनके जीवन के ये दोिनों ही आयाम महतवपूर्ण हैं क्कत्तु, आशचय्व की बात यह है क्क उनके जीवन और कार्य के अनेक महतवपूर्ण आयाम और भी हैं, क्जिके बारे में अधययन, क्चत्ति तथा क्वशलेषण आवशयकतानुरूप नहीं हो पाया है ।
विलक्ण क्मता और प्हतभा
एक बात हम सभी को सदैव धयाि में रखनी होगी क्क अक्त सामान्य परिवार में जन्मे डा. भीमराव अमबेडकर, सभी प्रकार के अभाव, उपेक्षा, अपमान एवं क्तरसकार सहते हुए अपनी क्वलक्षण क्षमताओं और प्रक्तभा के बल पर आज एक महतवपूर्ण स्ाि पर क्वराजमान हैं । उनकी प्रक्तभा को देश ने सवीकार क्कया था । इसी के फलसवरूप, वे संक्वधान क्िमा्वरिी सभा के सदसय बने । उनके मन में यह लक्य था क्क देश में असपृशय बन्धुओं को उनके संवैधाक्िक अक्धकार क्दलाने का प्रयास करूंगा । उनको आशचय्व तो तब हुआ जब उन्हें संक्वधान प्रारूप सक्मक्त का सदसय बनाया गया, और जब उन्हें इस प्रारूप सक्मक्त का अधयक्ष बनाया गया तब तो उनके आशचय्व की सीमा नहीं रही । उनको सवप्न में भी यह कलपिा नहीं थी क्क एक ऐसी सभा( संक्वधान सभा), क्जसमें अक्धकांश सदसय तथाकक््त उच्च
जाक्तयनों के थे, क्मलकर उन जैसे एक असपृशय व्यक्त को प्रारूप सक्मक्त का अधयक्ष भी बना सकते हैं । हम यहां क्वचार करेंगे क्क डा. अमबेडकर का समाज सुधारक के रूप में मौक्लक सवरूप कैसा है?
हम जानते हैं क्क क्वगत दो हजार वषयों की वयापक राजनीक्तक एवं सामाक्जक उथल-पुथल
ने कुछ क्वक्चरि पररन्स्क्तयां खड़ी कीं और समाज में अनेक प्रकार के क्वभेद उतपन् हो गये थे । इस दृन्ष्ट से वयापक समाज सुधारनों की आवशयकता थी । इस आवशयकता के अनुरूप ही डा. अमबेडकर एक समाज सुधारक थे तथा युगानुककूल सामाक्जक वयवस्ाओं की पुिस्ा्वपना के वे पुरोधा थे । सक्दयनों से वंक्चत,
38 vxLr 2025