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भारतीय समाज और कानून में एक महतवपूर्ण मील का पत्र है । यह न केवल मतांतरण के मामलनों में एक सपष्ट क्दशा-क्िदचेश प्रदान करता है, बल्कि समाज में धाक्म्वक सवतंरिता और व्यक्तगत अक्धकारनों की रक्षा भी सुक्िश्चित करता है । इस फैसले से यह उममीद की जा सकती है क्क भक्वष्य में मतांतरण के मामलनों में न्याय और पारदक्श्वता बनी रहेगी, और सभी धमयों के लोग अपने धाक्म्वक क्वशवासनों का पालन सवतंरिता से कर सकेंगे ।
भारत में मतांतरण की घटनाएं लंबे समय से क्ववाद का क्वषय रही हैं । मतांतरण का मुद्ा धाक्म्वक, सामाक्जक और राजनीक्तक दृन्ष्टकोण से महतवपूर्ण है । इक्तहास में क्वक्भन् धाक्म्वक समूहनों द्ारा मतांतरण की गक्तक्वक्धयाँ देखी गई हैं । 1981 में मीनाक्षीपुरम धमािंतरण एक सामूक्हक धाक्म्वक रूपांतरण था जो तक्मलनाडु के मीनाक्षीपुरम गांव में हुआ था, क्जसमें 200 से 300 परिवारनों के सैकड़ों दक्लत जाक्त के क्हंदुओं ने इसलाम धर्म अपना क्लया था । इस घटना ने भारत में धर्म की सवतंरिता पर बहस छेड़ दी थी । सवाधीनता के बाद यह भारत में सबसे बड़ी मतांतरण की घटना थी क्जसने पूरे देश को झकझोर क्दया था ।
भारत की सवाधीनता के बाद 1956 में मधय प्रदेश सरकार ने पहली बार मतांतरण की घटनाओं की जांच के क्लए एक सक्मक्त का गठन क्कया, क्जसे‘ क्ियोगी सक्मक्त’ के नाम से जाना जाता है । इस सक्मक्त का अधयक्ष भवानी शंकर क्ियोगी थे । सक्मक्त ने अपनी रिपोर्ट में क्वक्भन् धाक्म्वक संगठिनों और क्मशनरियनों द्ारा मतांतरण की गक्तक्वक्धयनों का क्वसतृत क्वशलेषण क्कया ।
क्ियोगी सक्मक्त की रिपोर्ट में पाया गया क्क मतांतरण के मुखय कारण गरीबी, क्शक्षा की कमी और क्चक्कतसा सुक्वधाओं की कमी थे । क्मशनरियनों द्ारा इन सुक्वधाओं का लालच देकर मत परिवर्तन कराया जाता था ।
रिपोर्ट में यह भी उललेख क्कया गया क्क कई धाक्म्वक संगठिनों ने अपने धर्म के प्रचार के क्लए आक््थिक और सामाक्जक मदद का सहारा क्लया । क्वशेष रूप से ईसाई क्मशनरियनों द्ारा स्कूल, असपताल और अन्य सामाक्जक सेवाओं का उपयोग करके मतांतरण की गक्तक्वक्धयनों को बढ़ावा क्दया गया । सक्मक्त ने सुझाव क्दया क्क मतांतरण की गक्तक्वक्धयनों को क्ियंत्रित करने के क्लए कानून बनाए जाएं । इसमें यह सुक्िश्चित करने के क्लए उपाय शाक्मल थे क्क क्कसी भी व्यक्त का मत परिवर्तन उसकी सवेचछा से हो, न क्क क्कसी दबाव या लालच के कारण ।
हालांक्क कई प्रदेशनों में मतांतरण पर कड़े कानून है क्फर भी क्वशेषकर ईसाई क्मशनरियनों ने अपने मकड़जाल में पंजाब, केरल, सक्हत पूववोत्र के कई राज्यों को फ़ासने में बड़ी सफलता प्रापत की है । यक्द केंद्र और राजय की सरकारें 1956 की क्ियोगी सक्मक्त की अनुशंसा को ततकाल मान लेती तो आज मतांतरण की इतनी बड़ी समसया हमें देखने को नही क्मलती । कई राज्यों में मतांतरण क्वरोधी कानून होने के बाद भी देश के कई भागनों से मतांतरण की घटनाएं सामने आती रहती है, क्जससे समाज के भीतर सांप्रदाक्यक तनाव पैदा होता है । जरूरत है एक सर्व सामाक्जक बहस की क्जससे क्क इस समसया से क्िपटने की आम सहमक्त बन सके । �

अवैध मतांतरण पर संघ चिंतित

झा

रखंड एवं छत्ीसगढ़ सक्हत देश
के अन्य राज्यों के जनजाक्त समाज के साथ ही पंजाब में क्सखनों के मतांतरण के बढ़ते मामलनों ने राष्ट्रीय सवयंसेवक संघ की क्चंता बढ़ा दी है । क्दलली स्थित संघ कार्यालय केशवकुंज में प्रांत प्रचारकनों की अक्खल भारतीय बैठक में यह मामला प्रमुखता से उठा । संघ के एक वरिष्ठ पदाक्धकारी के अनुसार, क्जस तरह से जनजाक्त समाज में प्रलोभन, लालच एवं डर क्दखाकर उनका मतांतरण क्कया जा रहा है । वह काफी क्चंताजनक है । जनजाक्त समाज में भारतीय संस्कृक्त की जड़े हैं । क्जत्हनोंिे देश की परंपरा को बचाए रखा है । उनका मतांतरण गंभीर है । इसी तरह, पंजाब में क्सखनों का ईसाईकरण बढ़ रहा है ।
जानकारी हो क्क गत कई वषयों के दौरान पंजाब में 1.5 प्रक्तशत जनसंखया वाला ईसाई समाज वर्तमान में 15 प्रक्तशत से भी ऊपर पहुंच गया है । देश के अन्य कई स्थानों पर धोखे से नाम छुपाकर क्ववाह कर मतांतरण के मामले भक्वष्य में गंभीर संकट पैदा करने वाले हैं । बैठक में जनजाक्त समाज में मतांतरण को रोकने क्लए सरकार द्ारा उठाए जा रहे कदमनों पर तो चर्चा हुई साथ ही समाज के साथ क्मलकर संघ के प्रयासनों को साझा क्कया गया, क्जसे और बढ़ािे पर जोर है । हाल ही में सरसंघचालक मोहन भागवत ने नागपुर में आयोक्जत संघ कार्यकर्ता क्वकास वर्ग-2 के समापन अवसर पर भी इस मुद्े को प्रमुखता उठाया था तथा यथा संभव सहयोग व जुड़े लोगनों को इस काम में तेजी लाने का आह्ाि क्कया था । �
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