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बहस

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन रहा है मतांतरण

मदुनीष हत्पाठी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने क्पछले वर्ष मतांतरण के मुद्े पर एक महतवपूर्ण क्िर्णय क्दया था । इस क्िर्णय के तहत उच्च न्यायालयने सपष्ट रूप से कहा क्क क्कसी भी प्रकार का जबरन या धोखाधड़ी से मतांतरण अवैध और असंवैधाक्िक है । यक्द धाक्म्वक

सभाओं में मतांतरण की प्रवृत्ति जारी रही तो एक क्दि भारत की बहुसंखयक आबादी ही अलपसंखयक हो जाएगी । उच्च न्यायालय ने कहा क्क लोगनों को धर्म के प्रचार प्रसार की छूट है लेक्कि धर्म बदलने की अनुमक्त नहीं है । ऐसे आयोजन संक्वधान के अनुचछेद-25 द्ारा प्रदत् धाक्म्वक सवतंरिता के अक्धकार के क्वरुद्ध हैं ।
इसके बाद भी देश के क्वक्भन् राज्यों में मतांतरण का अवैध खेल लगातार जारी है ।
भारत एक पं्क्िरपेक्ष देश है, जहां सभी धमयों को समान अक्धकार और सवतंरिता प्रापत है । संक्वधान के अनुचछेद-25 के तहत प्रतयेक व्यक्त को अपने धर्म का पालन, प्रचार और प्रसार करने का अक्धकार है । हालांक्क, यह अक्धकार पर्यापत नहीं है और इसके कुछ प्रक्तबंध हैं । यह क्िर्णय संक्वधान के इसी अनुचछेद की वयाखया के संदर्भ में आया ।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा क्क क्कसी व्यक्त का मतांतरण उसकी सवेचछा और सवतंरि इचछा से होना चाक्हए । जबरन, धोखाधड़ी या लालच देकर क्कया गया धमािंतरण अवैध है । मतांतरण एक गंभीर और व्यक्तगत मामला है, और इसे क्कसी भी प्रकार की सामाक्जक, आक््थिक या अन्य प्रकार की मजबूरी से प्रभाक्वत नहीं होना चाक्हए । इस क्िर्णय का समाज पर वयापक रूप से प्रभाव पड़ेगा । इससे यह सपष्ट संदेश गया है क्क मतांतरण का अक्धकार क्सफ्क तभी है जब वह सवेचछा से और क्बिा क्कसी दबाव के क्कया जाए । यह क्िर्णय क्वशेष रूप से उन मामलनों में महतवपूर्ण कहा जा सकता है जहां गरीब और कमजोर वगयों के लोगनों का जबरन या धोखाधड़ी से मतांतरण क्कया जाता है ।
कानूनी दृन्ष्टकोण से, यह क्िर्णय एक महतवपूर्ण क्मसाल स्थापित करता है । यह सपष्ट करता है क्क मतांतरण के अक्धकार का दुरुपयोग नहीं होना चाक्हए और इसे केवल उन पररन्स्क्तयनों में ही मान्यता दी जाएगी जब यह पूर्णत: सवेचछा से क्कया गया हो । इससे भक्वष्य में मतांतरण के क्ववादनों में एक महतवपूर्ण संदर्भ क्मलेगा । इलाहाबाद उच्च न्यायालय का यह क्िर्णय
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