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रहेगी , तब तक यह आशा नहीं की जा सकती कि मुषसलम देशों में गुलाम रखने की प्रथा पर रोक का कोई हार्दिक प्रयास होगा और महिलाएं सामानयतः स्वातिठधक उतपीठड़त हैं ।
मुषसलम महिलाओं के लिए अठन्वार्य पर्दा प्रथा के परिणामस्वरूप मुषसलम महिलाओं का अलगा्व सुठनषशचत है । महिलाओं से यह अपेक्ा की जाती है कि ्वह बाहर के कमरों , बरामदों और बगीचों में न आएं । उनका ठन्वास मकान के पिछले भाग में होता है । सभी महिलाओं को चाहे ्वह ज्वान हों या ्वृद्धा एक ही कमरे में रहना पड़ता है । कोई भी पुरुष नौकर उनकी उपषसथठत में काम नहीं कर सकता । महिला को अपने पुत्ों , भाइयों , पिता , चाचा और पति अथ्वा किसी ऐसे ही नजदीकी रिशतेदार को देखने की अनुमति है , ्वही ठ्वश्वासपात् होने पर ही कोई घर में प्र्वेश पा सकता है । ्वह इबादत के लिए मषसजद में भी नहीं जा सकती और जब कभी उसे बाहर जाना होता है तो बुर्का ओढ़ना पड़ता
है । ऐसी पृथकता का मुषसलम महिलाओं के स्वासथय पर बुरा प्रभा्व पड़ता है । ्वह प्रायः खून की कमी , क्यरोग , पायरिया और कतिपय अनय रोगों से पीड़ित हो जाती हैं । इन सभी कमजोरियों के फलस्वरूप , प्रसूतिकाल में उनकी मृतयु हो जाती है ।
पर्दा प्रथा के कारण मुषसलम महिलाओं का मानसिक और नैतिक ठ्वकास नहीं होता । स्वसथ सामाजिक जी्वन से ्वंचित रहने से उनमें अनैतिकता की प्र्वृठत् आ जाती है । बाहरी दुनिया से पूर्णतः अलग-थलग रहने के कारण उनका धयान तुचछ पारर्वारिक झगड़ों में उलझा रहता है । फलस्वरूप ्वह अपनी सोच में संकीर्ण हो जाती हैं और उनका दृषषटकोण भी संकुचित हो जाता है । भारत के मुसलमानों में पर्दा करने ्वाली महिलाओं की ठ्वराल संखया को देखते हुए कोई भी आसानी से यह समझ सकता है कि पदचे की समसया कितनी वयापक और गंभीर है ।
डा . आंबेडकर लिखते हैं कि पदचे का शारीरिक और बौद्धिक प्रभा्व भौतिक प्रभा्व के मुकाबले काफी कम पड़ता है । ्वसतुतः पर्दा प्रथा पुरुष और महिला दोनों में ही यौन संबंधी इचछा को लेकर गहन संदेह में निहित है और इसका उद्ेशय सत्ाी-पुरुष दोनों को अलग रखकर रोकना ही है । परंतु इस उद्ेशय की प्राषपत के बजाए पर्दा प्रथा ने मुषसलम पुरुषों की नैतिकता पर ठ्वपरीत प्रभा्व डाला है । पर्दा प्रथा के कारण कोई मुसलमान अपने घर-परर्वार से बाहर की महिलाओं से कोई परिचय नहीं कर पाता है । घर की महिलाओं से भी उसका संपर्क यदा-कदा बातचीत तक ही सीमित रहता है । बच्चों अथ्वा ्वृद्धों के अला्वा , पुरुष अनय महिलाओं से हिल-मिल नहीं सकता , अंतरंग साथी से भी नहीं मिल पाता । महिलाओं से पुरुषों की यह पृथकता ठनषशचत रूप से पुरुष के नैतिक बल पर ठ्वकृत प्रभा्व डालती है । यह कहने के लिए किसी मनो्वैज्ाठनक की आ्वशयकता नहीं कि ऐसी
28 vxLr 2024