पतोनमुख हो रहे हैं , ्वहां भारतीय मुसलमान उनसे मुकत हैं और हिंदुओं की तुलना में अधिक प्रगतिशील हैं । ऐसी धारणा का बनना उन लोगों के लिए आशचयतिजनक है जो भारत में मुषसलम समाज को बहुत करीब से जानते हैं । कोई भी यह प्रश्न पूछ सकता है कि कया कोई ऐसी सामाजिक बुराई है जो हिंदुओं में तो है , लेकिन मुषसलम समाज में नहीं पाई जाती है ? डा . आंबेडकर ने इसी प्रश्न की खोज अपने पुसतक “ भारत का ठ्वभाजन ” पुसतक में की है ।
डा . आंबेडकर सामाजिक व्यवसथा के साथ
इसलाम की पारर्वारिक व्यवसथा को भी कुरीति के रूप में देखते हैं । मुषसलम पर्सनल ललॉ से शासित होने के कारण मुषसलम समाज में ठ्व्वाह के लिए कोई नयूनतम आयु सीमा निर्धारित नहीं की गई है । बाबा साहब के अनुसार यह मुषसलम समाज की सबसे बड़ी सामाजिक कुरीति है । सत्ी के ठ्व्वाह की नयूनतम आयु निर्धारित न होने के कारण ्वह शोषित है । मुषसलम समाज में ठ्व्वाह एक अनुबंध है , जिससे सत्ी की षसथठत दयनीय बनती है । मुषसलम कानून में यह व्यवसथा है कि पत्ी अपने को समर्पित करने
के ए्वज में धन अथ्वा संपठत् पति से मांग सकती है , जिसे ‘ मेहर ’ के तौर पर जाना जाता है । मेहर ( एक प्रकार का दहेज़ ) का निर्धारण ठ्व्वाह के बाद भी किया जा सकता है और यदि कोई राशि निर्धारित नहीं की गई है तो भी पत्ी समुचित मेहर की हकदार है ।
इसलाम में षसत्ओं की हीनता पर कुरान सहमति दे देता है और उसे आतम अभिवयषकत और वयषकतत्व के अ्वसरों से ्वंचित करता है । तलाक के मामले में ऐसी उदारता से सुरक्ा की ्वह अनुभूति नषट हो जाती है जो एक महिला के पूर्णतः मुकत और सुखद जी्वन की परमा्वशयक आधारशिला है । मुषसलम महिला के जी्वन की यह असुरक्ा उस समय और बढ़ जाती है , जब उसके पति को बहुठ्व्वाह करने और रखैल रखने का कानूनन अधिकार प्रापत हो जाता है ।
मुषसलम कानून मुसलमानों को एक समय पर चार महिलाओं से ठ्व्वाह करने की अनुमति देता है । परंतु इस तथय को ठ्वसमृत कर दिया जाता है कि चार कानूनी पठत्यों के अला्वा मुषसलम कानून एक मुसलमान को अपनी महिला गुलामों से भी सह्वास करने की अनुमति देता है । महिला गुलामों की संखया के बारे में उस कानून में कुछ भी नहीं बताया गया है । उसे यह भी अधिकार है कि ्वह बिना किसी रुका्वट अथ्वा कृतज्ता के उन गुलामों को अपने साथ रख सकता है । उस पर यह बंधन भी नहीं है कि ्वह उनसे ठ्व्वाह करे ।
बहु ठ्व्वाह तथा रखैल रखने की प्रथा ठ्वरेष रूप से मुषसलम महिला के लिए जिस तरह दुःखदायी है , उसके कारण जो बुराइयां जनम लेती हैं , उनका समुचित रूप से ्वणतिन करने के लिए शबद नहीं हैं । एक मुसलमान चार से अधिक पठत्यां रख सकता है और मुषसलम कानून के अंतर्गत साथ में रह सकता है । यह तरीका रखैलों के साथ रहने का है , जिनकी कुरान ने खुलकर इजाजत दी है । कुरान में चार पठत्यां रखने की अनुमति दी गई है । मुइर ने अपनी पुसतक ‘ लाइफ ऑफ मोहम्मद ’ में कहा है कि जब तक दासियों के साथ रहने की यह असीम अनुमति उनहें प्रापत
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