उच्चतम न्ायालय के निर्णय से सभी दलित-आदिवासियदों को मिल सके गा आरक्षण का लाभ : डा . शास्ती
नवनीत शमया्ण
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ससी-एसटी आरक्ण के अंदर आरक्ण देने और क्रीमीलेयर का आरक्ण समापत करने सम्बनधी उच्चतम नयायालय के निर्णय को राषटीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के पू्वति अधयक् और भाजपा के पू्वति सांसद डा . ठ्वजय सोनकर शासत्ी ने ऐतिहासिक बताया है । उनका कहना है कि वर्गीकरण से एससी-एसटी आरक्ण का लाभ उन जातियों को भी मिल सकेगा , जो अब तक ्वंचित रहीं हैं । मोदी सरकार की तरह राजयों को भी ्वंचित तबके तक लाभ पहुंचाने का रासता खोजना चाहिए ।
डा . शासत्ी कहते हैं कि देश में एससी-एसटी की जनसंखया 22.5 प्रतिशत है । अगर यह ्वगति
ठ्वकास में पीछे छूटा तो देश पिछड़ जाएगा । इसलिए सभी को फैसले का स्वागत करना चाहिए । सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटे की जो व्यवसथा दी है , उसे लागू करने में कुछ दिककतें भले आएंगी , लेकिन इससे आरक्ण का लाभ समाज के ्वंचित लोगों को भी मिल सकेगा । जहां तक क्रीमीलेयर का स्वाल है तो हमें यह समझना आ्वशयक है कि दलितों को आर्थिक आधार पर नहीं बषलक सामाजिक , राजनीतिक और शैठक्क पिछड़ेपन के आधार पर संठ्वधान ने आरक्ण दिया है । एक दलित डलॉकटर , इंजीनियर बन जाते हैं तो भी उनकी समाज में आज भी पहचान दलित के रुप में होता है । किसी दलित के आईएएस , आईपीएस , डलॉकटर , इंजीनियर या एमपी-एमएलए बनने के बाद
कया यह मान लिया जाना चाहिए कि सात पीठढ़यों के लिए उनहोंने कमाकर रख लिया है ? अगर ऐसा है तो यह क्रीमी लेत्र की सोच भ्रषटाचार को बढ़ावा देने ्वाला होगा । ऐसे में दलितों के मामले में आर्थिक आधार पर क्रीमीलेयर का निर्धारण जटिल मसला हो जाता है । केंद्र की मोदी सरकार सबका साथ , सबका ठ्वकास और सबका ठ्वश्वास के साथ कार्य रही है । ऐसे में राजय सरकारों को भी इस भा्वना के साथ कोई न कोई रासता निकालना होगा ।
डा . शासत्ी के अनुसार जातियों मे वर्गीकरण जरूरी है । आरक्ण का लाभ दलितों में दो-चार जातियों को नहीं , बषलक सभी को मिलना चाहिए । ऐसे में वर्गीकरण से सबको समान रूप से लाभ मिल सकेगा । देश में आरक्ण की मंशा इसलिए नहीं पूरी हुई , कयोंकि कुछ ही लोग लाभ लेते रहे । दलितों की समसया आर्थिक नहीं सामाजिक है । उनहोंने कहा कि दलितों में कुल 1208 जातियां और 10 हजार उपजातियां हैं । अकेले खटिक जाति में ही 1871 उपजाति और जाट्व में 410 और ्वालमीठक में 623 उपजाति अभी तक प्रापत हुई है । इस प्रकार वर्गीकरण की राह भी चुनौती भरी है ।
डा . शासत्ी के अनुसार वर्गीकरण के लिए निजी से लेकर सरकारी से्वाओं में एससी-एसटी की भागीदारी पर सर्वे से तस्वीर सामने आएगी । इसके बाद ए , बी , सी और डी जैसी कटेगरी बनाई जा सकती है । जिसको सबके कम लाभ मिला हो , उस जाति को ए , फिर बी , सी और डी कर सकते हैं ।
( साभार : राजसथान पठत्का )
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