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नयाय

दलितों के नरसंहार में र्रीि

दोषियों को फांस्री नवंबर ' 1981 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में हुई र्री घटना

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तिर प्रदेश षसथत फिरमोजाबाद जिले के जसराना तहसील में आने वाले गांव दिहुली में 18 नवंबर 1981 कमो 24 दलितों की सामूहिक हतरा के मामले में निर्णय देते हुए नरारालय ने तीन दमोवषरों कमो फांसी की सजा सुनाई है । साथ ही दमो दमोवषरों पर दमो-दमो लाख रुपए और एक दमोषी पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है । मैनपुरी के अतिरर्त जिला नराराधीश( विशेष डकैती) इंदिरा सिंह ने बचाव पषि की सभी दलीलों के सुनने के बाद अपना निर्णय सुनाया । निर्णय के बाद तीनों दमोवषरों कमो कमो मैनपुरी षसथत जिला कारागार में रखा गया है । फांसी की सजा पाने वाले दमोषी रामपाल, रामसेवक और कपतान सिंह अपने कानूनी अधिकार का इसतेमाल करते हुए फांसी की सजा के विरुधि तीस दिन के अंदर उच् नरारालय में अपील भी कर सकते हैं ।
दिल दहलाने वाली घटिना फिरमोजाबाद जनपद के जसराना थाना षिेत्र के ग्ाम दिहुली( घटिना के समय मैनपुरी का हिससा) में हुई थी, जहां 24 दलितों की सामूहिक हतरा कर दी गई थी । 1981 में 18 नवंबर की शाम हुई घटिना में डकैत संतमोष और राधे के गिरमोह ने एक मुकदमे में गवाही के विरमोध में हथियारों से लैस हमोकर दिहुली गांव में घुसकर महिलाओं, पुरुषों और बच्ों पर गमोवलरां चलाई थी । इसमें 24 लमोगों की मलौत हुई थी । बदमाशों ने हतरा
करने के बाद लूटिपाटि भी की थी । रिपमोटि्ट दिहुली के लायक सिंह ने 19 नवंबर 1981 कमो थाना जसराना में दर्ज कराई थी । रिपमोटि्ट राधेशराम उर्फ राधे, संतमोष सिंह उर्फ संतमोषा के अलावा बीस अनर के विरुधि दर्ज हुई थी । बाद में यह मामला मैनपुरी से लेकर इलाहाबाद तक के नरारालय में चला । इसके बाद 19 अ्तूबर 2024 कमो बहस के लिए मुकदमा फिर से मैनपुरी वापस भेज दिया गया और फिर विशेष डकैती नरारालय में इसकी सुनवाई हुई ।
नरसंहार के आरमोप में गिरमोह सरगना संतमोष उर्फ संतमोषा और राधे सहित गैंग के सदसर कमरुद्ीन, शरामवीर, कुंवरपाल, राजे उर्फ राजेंद्र, भूरा, प्रममोद राना, मलखान सिंह, रविंद्र सिंह, युधिष्ठिर पुत्र दुर्गपाल सिंह, युधिष्ठिर पुत्र मंशी सिंह, पंचम पुत्र मंशी सिंह, लक्मी, इंदल और रुखन, ज्ानचंद्र उर्फ गिन्ना, कपतान सिंह, रामसेवक और रामपाल पर मुकदमा दर्ज हुआ था । लक्मी, इंदल और रुखन, ज्ानचंद्र उर्फ गिन्ना, कपतान सिंह, रामसेवक और रामपाल
कमो छोड़कर सभी की मलौत हमो चुकी है । इनकी मलौत के संबंध में कमोटि्ट में रिपमोटि्ट भी दाखिल हमो चुकी है । मामले में अनर आरमोपी लक्मी, इंदल और रुखन, ज्ानचंद्र उर्फ गिन्ना अभी भी फरार हैं ।
मामले में जिन 24 दलितों की हतरा हुई थी, उनमें सवगथीर जवाला प्रसाद, रामप्रसाद, रामदुलारी, श्रृंगार वती, शांति, राजेंद्री, राजेश, रामसेवक, शिवदयाल, मुनेश, भरत सिंह, दाताराम, आशा देवी, लालाराम, गीतम, लीलाधर, मानिकचंद्र, भूरे, कुं. शीला, मुकेश, धनदेवी, गंगा सिंह, गजाधर एवं प्रीतम सिंह शामिल थे ।
अवभरमोजन पषि के अनुसार नरारालय ने धारा 302( हतरा), 307( हतरा के प्रयास), 216( अभियु्तों कमो शरण देना), 120 बी( आपराधिक सावजश), 449-450( घर में घुसकर अपराध करना) के तहत अभियु्तों कमो दमोषी ठहराया है । पुलिस के अनुसार सामूहिक नरसंहार में शामिल अधिकांश अभियु्त अगड़ी जाति से थे । कुंवरपाल दलित समुदाय से थे और उनकी एक अगड़ी जाति की महिला से मित्रता थी । इसी मुद्े पर आरमभ हुई दुशमनी के बाद दलितों का नरसंहार किया गया । ततकालीन समय में प्रदेश के मुखरमंत्री विशवनाथ प्रताप सिंह थे और घटिना के बाद ततकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी दिहुली गांव का दलौरा किया था । �
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