चिंतन
भारर्रीर इतिहास की धारा को बदला डा. आंबेडकर ने
धममेनद्र मिश्ा
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तंत्र भारत के निर्माण में अनुसूचित जातियों के रमोगदान का किसी भी सूरत में नाकारा नहीं जा सकता है । अगर हम अनुसूचित जाति के रमोगदान पर निगाह डाले तमो आधुनिक भारत के निर्माण में 90 प्रतिशत रमोगदान अगर किसी का है तमो वह है बाबा साहब भीम राव आंबेडकर का । डा. आंबेडकर ही वह पहले दलित नेता थे, जिनहोंने आधुनिक भारत के निर्माण में महतवपूर्ण भूमिका निभाई । उनके रमोगदान पर अगर निगाह डाली जाए वर्तमान भारत के लिए कानून बनाते समय डा. आंबेडकर की प्राथमिकता भूमिहीन और श्रमजीवी वर्ग थे । डा. आंबेडकर उन चंद भारतीयों में से थे, जिनहोंने सामाजिक एवं आर्थिक प्रजातंत्र का आगाज कर, भारत के इतिहास की धारा कमो बदलने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी । भारत में वरापत आर्थिक और सामाजिक शमोषण, उनकी गंभीर चिंता का विषय था और उनकी यह मानरता थी कि समाज और अर्थवरवसथा में संसथागत परिवर्तनों के बगैर भारत, शांति, प्रसन्नता और समृवधि का देश नहीं बन सकता । अलग-अलग मलौकों पर उनहोंने भूमिहीन श्रमिकों, छमोटिी जमोतों,‘ खमोटिी वरवसथा’,‘ महार वतन’, सामूहिक खेती, भू-राजसव, मलौवद्रक वरवसथा और जमींदारी उनमूलन जैसे मुद्ों पर विचार किया । उनहोंने कराधान से जुड़े मसलों की भी गहन विवेचना की । सामाजिक समानता लाने के लिए वह उद्योगों और खेती
के राष्ट्रीयकरण कमो अपरिहार्य मानते थे ।
डा. आंबेडकर एक महान वशषिाविद और अर्थशासत्री भी थे । वह अपने समय के एक मात्र सांसद थे, जमो भारतीय अर्थवरवसथा और बैंकिंग से संबंधित आधिकारिक आंकड़े और उनकी सुस्पष्ट वरारा प्रसतुत करने में सषिम थेI डा. आंबेडकर लगातार यह कहते रहे कि चरणबधि
और रमोजनाबधि आर्थिक विकास, जमो कि प्रजातांत्रिक मानकों पर आधारित हमो, से ही सामाजिक नरार की सथापना हमो सकती है । डा. आंबेडकर के प्रयासों से ही संविधान में ऐसे प्रावधान किए गए, जिनका लक्र सभी के लिए राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक नरार पर आधारित सामाजिक वरवसथा सथावपत करना
22 vizSy 2025