लिया । उनहोंने महसूस किया कि दैनिक जीवन में देशभक्त का अभाव, सामूहिक राष्ट्रीय चरित्र का ह्ास जिसके परिणामसवरूप संकीर्ण पहचान और सामाजिक जीवन में अनुशासन की कमी बाहरी आक्रमणकारियों के भारत में पैर जमाने का मूल कारण है । वह अनुभव कर सकते थे कि लमोगों ने निरंतर आक्रमणों के कारण हमारे
गलौरवशाली इतिहास की सामूहिक समृवत खमो दी है । इसलिए, हमारी संसकृवत और ज्ान परंपरा के बारे में निराशावाद और हीन भावना थी । यह उनका विशवास था कि कुछ नेताओं के अधीन केवल राजनीतिक सक्रियता हमारे प्राचीन राष्ट्र की मूलभूत समसराओं कमो हल नहीं करेगी । इसलिए उनहोंने लमोगों कमो राष्ट्र के लिए जीने के लिए प्रवशवषित करने के लिए लगातार प्रयासों की एक पधिवत तैयार करने का फैसला किया । शाखा पधिवत पर आधारित संघ की अभिनव और अनूठी कार्यप्रणाली राजनीतिक संघर्ष से परे इसी दूरदशथी समोच का परिणाम है ।
उनहोंने कहा कि हिंदुतव और राष्ट्र की अवधारणा कमो समझाना आसान नहीं था, ्रोंकि उस समय अंग्ेजी-वशवषित अभिजात वर्ग के अधिकांश लमोग संकीर्ण, संकीर्ण और बहिष्कारवादी राष्ट्रवाद के यूरमोपीय विचार से
प्रभावित थे । डा. हेडगेवार ने विचारधारा का वसधिांत नहीं बनाया, बषलक उनहोंने बीज रूप में एक कार्य रमोजना दी, जमो इस यात्रा में मार्गदर्शक शक्त रही है । उनके जीवनकाल में संघ का कार्य भारत के सभी षिेत्रों तक पहुंच गया । जब हमें सवतंत्रता मिली और उसी समय दुर्भागर से भारत माता का धार्मिक आधार पर विभाजन
राष्ट्रीय ्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्ात्ेय हमोसबमोले
हुआ, तमो संघ के सवरंसेवकों ने ही पाकिसतान से हिंदू जनसंखरा कमो बचाने और उनहें सममान और गरिमा के साथ पुनसथा्यवपत करने के लिए खुद कमो समर्पित कर दिया ।
उनहोंने कहा कि भारत एक प्राचीन सभरता है जिसकी आधराषतमक परंपराओं के आधार पर मानवता के हित में एक नियत भूमिका है । यदि भारत कमो सार्वभलौवमक सद्ाव और एकता के विचारों के आधार पर भूमिका निभानी है, तमो भारत के आम लमोगों कमो उस लक्र के लिए खुद कमो तैयार करना हमोगा । श्रीगुरुजी ने इसके लिए एक मजबूत वैचारिक आधार प्रदान किया । हिंदू समाज के सुधारवादी एजेंडे कमो तब नई गति मिली, जब भारत के सभी संप्रदायों ने घमोषणा की कि किसी भी प्रकार के भेदभाव कमो धार्मिक सवीकृति नहीं है । जब संविधान का हनन किया गया तमो शांतिपूर्ण तरीकों से लमोकतंत्र कमो बहाल
करने की लड़ाई में संघ के सवरंसेवकों ने महतवपूर्ण भूमिका निभाई
उनहोंने बताया कि इस वर्ष विजयादशमी के दिन संघ के सलौ वर्ष पूरे हमो रहे हैं । आने वाला वर्ष में संघ कार्य के विसतार और समेकन पर केंद्रित हमोगा । संघ का उद्ेशर मील का पतथर मनाना नहीं है, बषलक आतमवनरीषिण करना, संघ के कार्य के लिए समाज के समर्थन कमो सवीकार करना और राष्ट्र के लिए खुद कमो समर्पित करना और समाज कमो संगठित करना है । शताबदी वर्ष में और अधिक सावधानी, गुणवतिा और वरापकता से काम करने का संकलप लेते हैं । सभी मंडलों और बषसतरों में हिंदू सममेलन आरमोवजत किए जाएंगे, जिसमें बिना किसी भेदभाव के सभी के दैनिक जीवन में एकता और सद्ाव का संदेश दिया जाएगा, राष्ट्र के लिए सभी का रमोगदान और पंच परिवर्तन में प्रतरेक वरष्त की भागीदारी हमोगी । इसी तरह खंड / शहर सतर पर सामाजिक सद्ाव बैठकें आरमोवजत की जाएंगी, जिसमें एकता के साथ रहने पर जमोर दिया जाएगा । इन बैठकों का एजेंडा सांसकृवतक नींव और हिंदू चरित्र कमो खमोए बिना आधुनिक जीवन जीना भी हमोगा । उनहोंने महाकुंभ का उदाहरण दिया, जहां सभी षिेत्रों के लमोग एक साथ आए थे । जिला सतर पर महतवपूर्ण नागरिक संवाद आरमोवजत किए जाएंगे । यह कार्यक्रम राष्ट्रीय मुद्ों पर सही आखरान सथावपत करने और आज समाज में प्रचलित गलत आखरानों कमो अलग करने पर केंद्रित होंगे । इसके साथ ही प्रांत इकाइयों द्ारा युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम की रमोजना बनाई जाएगी ।
उनहोंने कहा कि हिंदू समाज का पुनर्जागरण ही संघ का एजेंडा रहा है । संघ का एजेंडा हिंदू समाज कमो संगठित करना है । असपृशरता जैसे कई अंतर्निहित दमोषों के कारण यह एक कठिन कार्य था । संघ शाखाओं और अपनी राष्ट्रवरापी गतिविधियों के माधरम से इसे प्रापत करने के लिए लगातार काम कर रहा है जमो एक सामंजसरपूर्ण समाज और राष्ट्र के लिए सभी कमो एक साथ लाता है ।
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