April 2025_DA | Page 20

कवर स्टोरी

धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक: संघ jk

ष्ट्रीय सवरं सेवक संघ( आरएसएस) ने धर्म के आधार पर आरषिण कमो असंवैधानिक बताया है । संघ का कहना है कि नरारालय ने कई बार सरकार के ऐसे कदमों कमो खारिज कर दिया है । इसके बाद भी इस तरह के राजनीतिक कदमों के साथ चलने वाला कमोई भी वरष्त संविधान निर्माताओं के उद्ेशर के विरुधि ही जा रहा है ।
गत माह बेंगलुरु में संपन्न संघ की वार्षिक प्रतिनिधि सभा की बैठक में हुई चर्चा के बाद सरकार्यवाह दतिात्रेर हमोसबमोले ने कहा कि संविधान धर्म आधारित आरषिण की अनुमति नहीं देता है । इस तरह का आरषिण हमारे संविधान निर्माता बी. आर. आंबेडकर के विरुधि है । पूर्ववतथी अविभाजित आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र की ओर से मुसलमानों के लिए धर्म आधारित आरषिण लागू करने के पिछले प्रयासों कमो उच् नरारालयों और सववोच् नरारालय ने खारिज कर दिया गया था । इसके बाद भी ऐसा हमो रहा है, जमो आशचर्य का विषय है ।
उनहोंने कहा कि जमो लमोग समाज और राष्ट्र की बेहतरी के प्रतीक हैं, उनहें हमारा आदर्श हमोना चाहिए, न कि वह जमो असहिष्णुता के लिए जाने जाते हैं और इस राष्ट्र के चरित्र का प्रतिनिधितव नहीं करते हैं । औरंगजेब जैसे लमोगों का विरमोध धार्मिक नहीं, बषलक राष्ट्र और उसकी एकता के हित में है । हालांकि हमें 1947 में राजनीतिक सवतंत्रता मिली, लेकिन मानसिक उपनिवेशवाद आज भी एक वासतविकता है और मानसिक उपनिवेशवाद कमो खतम करना बहुत जरूरी है । इसके साथ ही आक्रांताओं जैसी मानसिकता वाले लमोग देश के लिए खतरा हैं । यह तय करना हमोगा
कि हम अपने देश की संसकृवत के साथ किसे जोड़ने जा रहे हैं । यह धर्म की बात नहीं है । यह संघ का दृढ़ विचार है । अतीत में बहुत सी घटिनाएं हुई हैं । दिलली में एक ' औरंगजेब रमोड ' थी, जिसका नाम बदलकर अबदुल कलाम रमोड कर दिया गया । इसके पीछे कुछ कारण थे । औरंगजेब के भाई दारा शिकमोह कमो हीरमो नहीं बनाया गया । गंगा-जमुनी तहजीब की वकालत करने वालों ने कभी दारा शिकमोह कमो आगे लाने के बारे में नहीं समोचा । ्रा हम किसी ऐसे वरष्त कमो आइकलॉन बनाएंगे जमो भारत की संसकृवत के विरुधि था, या हम उन लमोगों के साथ जाएंगे जिनहोंने इस भूमि की परंपराओं के अनुसार काम किया?
उनहोंने कहा कि अगर सवतंत्रता की लड़ाई अंग्ेजों के विरुधि लड़ी जाती है तमो यह सवतंत्रता की लड़ाई है । उनसे पहले जमो लमोग थे यानी अंग्ेजों से पहले, उनके विरुधि लड़ाई भी सवतंत्रता की लड़ाई थी । महाराणा प्रताप ने जमो किया, वह सवतंत्रता की लड़ाई थी । अगर आक्रमणकारी मानसिकता वाले लमोग हैं, तमो वह देश के लिए खतरा हैं । इसलिए तय करना हमोगा कि हम अपने देश की संसकृवत के साथ किसे जोड़ने जा रहे हैं । यह धर्म की बात नहीं है । यह संघ का दृढ़ विचार है ।
उनहोंने कहा कि जब राष्ट्रीय सवरंसेवक संघ अपनी सेवा के सलौवें वर्ष पूरे कर रहा है, तमो संघ इस उपलषबध कमो किस तरह से देखता है, इसे लेकर उतसुकता बनी हुई है । संघ के लिए यह बात अपनी सथापना के समय से ही स्पष्ट रही है कि ऐसे अवसर उतसव मनाने के लिए नहीं हमोते, बषलक हमें आतमवचंतन करने और अपने उद्ेशर के प्रति पुनः समर्पित हमोने का अवसर प्रदान करते हैं । यह आंदमोलन का मार्गदर्शन करने वाले महान
संतों और इस यात्रा में निसवाथ्य भाव से शामिल हमोने वाले सवरंसेवकों और उनके परिवारों के रमोगदान कमो सवीकार करने का भी अवसर है ।
उनहोंने कहा कि डा. हेडगेवार जनमजात देशभ्त थे और भारत के प्रति निसवाथ्य प्रेम तथा शुधि समर्पण की यह विशेषता बचपन से ही उनके कारगों में दिखाई देती थी । जब उनहोंने कमोलकाता में अपनी चिकितसा वशषिा पूरी की, तब तक वह भारत कमो वरिवटिश उपनिवेश से मु्त कराने के लिए किए गए सभी प्रयासों-सशसत्र क्रांति से लेकर सतराग्ह तक- से परिचित हमो चुके थे । सामाजिक सुधार या राजनीतिक सवतंत्रता उस समय चर्चा के केंद्रीय बिंदुओं में से एक थी । साथ ही, भारतीय समाज के एक डलॉ्टिर के रूप में, उनहोंने उन मूलभूत समसराओं का निदान किया, जिनके कारण हमारी सवतंत्रता खमो गई और एक सथारी समाधान खमोजने का निर्णय
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