April 2025_DA | Page 18

कवर स्टोरी

अनुसूचित जनजाति( एससी-एसटिी) कमो दिया गया है । संविधान के अनुचछेद-15 और 16 के अंतर्गत केवल धर्म के आधार पर किसी कमो कमोई आरषिण नहीं दिया जा सकता है । 26 मई 1949 कमो संविधान सभा की बैठक में डा. आंबेडकर ने कहा था कि चूंकि अनुसूचित जातियां गरीब हैं, अवशवषित हैं और समाज में अपनी षसथवत तथा प्रचलित सामाजिक रीति- रिवाजों के कारण पीवड़त हैं, इसलिए संविधान में उनके लिए कुछ विशेष सुविधा न देना अनरारपूर्ण हमोता । ऐसा इसलिए किया गया है ्रोंकि वह अपना उतथान करने में सषिम नहीं हैं । आने वाले दस वषगों में अनुसूचित जातियां हम सभी के सहरमोग से प्रगति करने में सषिम होंगी और तब उनहें आज दी गई विशेष सुविधाओं कमो जारी रखने की आवशरकता नहीं हमोगी । लेकिन इस उद्ेशर की प्राषपत के लिए अनर लमोगों का सहरमोग आवशरक है । डा. आंबेडकर ने स्पष्ट रूप से कहा था कि देश में मुसलमानों के लिए कमोई आरषिण नहीं हमोना चाहिए । लेकिन कांग्ेस सरकार के राजर में अनुसूचित जाति एवं जनजाति का उतथान उस तरह नहीं हमो पाया, जैसी उममीद की गई थी । यही कारण रहा कि आरषिण की वरवसथा कमो लगातार लागू रखा गया । संविधान के अनुचछेद 15( 4) व 15( 5) में शैषिवणक और सामाजिक रूप से पिछड़े वगगों या फिर एससी-एसटिी के लिए विशेष उपबंध की वरवसथा है ।
धमाांतरित दलितों कमो आरक्षण का मामला नयायालय में
कमोई दलित वरष्त हिंदू धर्म छोड़कर इसलाम या ईसाई पंथ अपना लेता है, तमो ्रा उसे आरषिण का लाभ मिलेगा? यह मामला उच्तम नरारालय में विचारधीन है । साथ ही उच्तम नरारालय में में संविधान के उस निर्णय पर भी अंतिम निर्णय आना बाकी है, जिसमें कहा गया है कि हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म के दलितों के अलावा किसी और धर्म के लमोगों कमो अनूसूचित का दर्जा नहीं दिया जा सकता । उच्तम नरारालय ने यह भी कहा है कि ईसाई और
इसलाम धर्म कमो आदेश से इसलिए बाहर रखा गया है, ्रोंकि इन दमोनों धमगों में छुआछूत और जाति वरवसथा नहीं है । उच्तम नरारालय ने दिसंबर ' 2024 में पषशचम बंगाल सरकार द्ारा मुसलमानों कमो आरषिण कमो लेकर एक मामले में वटिपपणी करते हुए कहा था कि‘ आरषिण धर्म के आधार पर नहीं हमो सकता ।
आरक्षण पर राजनीति
मुषसलम आरषिण की अनुमति संवैधानिक आधार पर न हमोने के बाद भी वर्तमान समय में आवशरकता से अधिक राजनीतिक मुद्ा बन चुका है । भारतीय संविधान में आरषिण की जमो वरवसथा की गई थी, उसका उद्ेशर केवल कमजमोर और दबे कुचले लमोगों के जीवन सतर कमो ऊपर उठाना है । लेकिन वासतव में देखा जाए तमो इस मामले में राजनेताओं की समोच अंग्ेजों की समोच से जरादा विकृत निकली । यही वजह है कि आरषिण की राजनीति कमो बढ़ावा देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह ने मंडल आरमोग की सिफारिशें अपनी मजथी से लागू कराई । आरषिण आज ऐसा मुद्ा बन चुका है जमो विरमोधी दलों के लिए राजनीतिक सफलता प्रापत करने का माधरम बन गया है । वरिवटिश राज से आज के प्रगतिशील भारत तक आरषिण की बेल लगातार फल-िकूल कर बढ़ती जा रही है । आरषिण की मांग कमो लेकर नए-नए आंदमोलन हमोने के साथ विरमोधी दलों द्ारा जातिगत जनगणना के लिए की जा रही मांग के पीछे भी आरषिण की भूमिका कमो देखा जा सकता है ।
कांग्ेस का मुस्लम-ईसाई प्रेम
दलितों की राजनीति करने का दावा करते हुए कांग्ेस 2004 में जब सतिा में आयी थी, उसके बाद से ही धमाांतरित मुषसलम एवं ईसाई वर्ग कमो आरषिण देने के प्रयास में जुटिी हुई है । धमाांतरित मुषसलम एवं ईसाई कमो आरषिण देने समबनधी यह मामला उच्तम नरारालय में विचाराधीन है । लेकिन धरान दिया जाए तमो कांग्ेस ने कभी भी दलित से मुसलमान या ईसाई बने लमोगों कमो फिर से हिंदू बनाने का काम नहीं
किया । जमो लमोग हिंदू दलित से इसलाम या ईसाइयत में धर्मानतरित हमो गए, उनहें कांग्ेस ने जाने दिया । इस प्रकार दलितों कमो ही वमटिाकर और उनहें विधमथी बन जाने देने की खुली छूटि देकर कांग्ेस ने देश कमो तोड़ने की प्रवृवति कमो भी बढ़ावा दिया । कांग्ेस की राजनीति दलितों के प्रति पूर्णतया उदासीन बनी रही । परिणाम यह हुआ कि दलित वर्ग कमो इसलाम और ईसाइयत कमो सौंप दिया गया, जमो उनका धमाांतरण करके अपनी संखरा बढ़ाने में जुटि गए । अपनी पुसतक ' पाकिसतान या भारत का विभाजन ' में डा. आंबेडकर मुषसलम मानसिकता कमो समझ गए थे, इसीलिए उनहोंने पिछड़े एवं दलित वर्ग के लमोगों कमो इसलाम कबूल करने की सलाह नहीं दी थी । उनका विचार था कि आरषिण के माधरम से धीरे-धीरे पिछड़े वगगों की आर्थिक षसथवत बेहतर हमोगी तमो वह सब दुबारा से देश की मुखरधारा में शामिल हमो जायेंगे । लेकिन ्रा वासतव में ऐसा हुआ? इस पर गंभीरता से सभी कमो विचार करना हमोगा । कांग्ेस ने देश में 50 साल से जरादा शासन किया है । इस अवधि में जरादातर राजरों में भी
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