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वरापत सामाजिक कुरूतियों कमो समापत करने के कार्य में लग गए । सामाजिक मुद्ों पर काम करते हुए भी उनके कार्य कमो देखा जाए तमो वह भी कहीं न कहीं आर्थिक पषि के साथ जुड़े हुए हैं I
जब वह महिलाओं कमो उद्मी बनाने की बात करते तमो वही दलितों कमो भी उद्मी बनाने में सरकार की सहायता की बात करते हैं I उनका मानना था कि आर्थिक उतथान के बिना कमोई भी सामाजिक एवं राजनीतिक भागीदारी संभव नहीं हमोगी । डा. आंबेडकर ने भारतीय मुद्रा( रुपए) की समसरा, महंगाई तथा विनिमय दर, भारत का राष्ट्रीय लाभांश, वरिवटिश भारत में प्रांतीय ववति का विकास, प्राचीन भारतीय वाणिजर, ईस्ट
इंडिया कमपनी का प्रशासन एवं ववति, भूमिहीन मजदूरों की समसरा तथा भारतीय कृषि की समसरा जैसे महतवपूर्ण विषयों पर शमोध ही नहीं किया, बषलक इन मुद्ों से समबंवधत समसराओं के तर्किक एवं वरावहारिक समाधान भी दिए ।
20वीं सदी के शुरुआत में विशव के लगभग सभी प्रतिष्ठित अर्थशाषसत्ररों ने डा. आंबेडकर के अर्थशासत्र विषय की समझ तथा उनके रमोगदान कमो सराहा I साथ ही उनके शमोध पर महतवपूर्ण वटिपपणी भी की I हाल ही में नमोबेल पुरसकार से सममावनत अर्थशासत्री आमतर्य सेन ने कहा“ डा. आंबेडकर अर्थशासत्र के विषय मे मेरे पिता हैं”। डा. आंबेडकर 1913 में बलॉमबे के एषलिनसटिन कालेज से अर्थशासत्र में स्ातक की
पढाई की I डा. आंबेडकर की प्रतिभा कमो पहचानते हुए बड़लौदा के महाराजा ने उनकी विदेश की पढाई के लिए छात्रवृवति प्रदान की । जिसकी वजह से वह 1915 में कमोलंबिया यूनिववस्यटिी से अर्थशासत्र में स्ातकोत्तर तथा 1917 में पीएचडी शमोध पूरा कर पाए I उनकी एम. ए. की थीसिस का विषय ' प्राचीन भारतीय वाणिजर '( Ancient Indian Commerce) था, जमो कि प्राचीन भारतीय वाणिजर के प्रति उनकी समझ कमो दर्शाता है I अपने शमोधपत्र में उनहोंने प्राचीन भारतीय वाणिजर की समसराओं कमो रखा तथा उनके संभावित कारगर समाधान भी बताए हैं । इसी वर्ष " ईस्ट इंडिया कमपनी का प्रशासन एवं ववति "( Administration and
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