जनमतदन पर विशेष
डा. प्रवेश कुमार
Hkk
रत की राजनीति और समाज परिवर्तन की अलख जगाने वाले बाबा साहब डा. भीमराव आंबेडकर के वरष्ततव से समबंवधत बहुत से पषि है । लेकिन भारत में उनहें केवल दलित मसीहा या जऱादा से जऱादा संविधान निर्माता के रूप में ही परिचित कराने का प्रयास हुआ है । ्रा हमने कभी जानने का प्रयास किया की बाबा साहब आंबेडकर एक अर्थशासत्री भी थे । उनके जीवन में अर्थशासत्र विषय तथा आर्थिक मुद्ों का एक महतवपूर्ण सथान था । विद्ाथथी जीवन से ही वह अर्थशासत्र विषय से प्रभावित थे । उनहोंने अपनी स्ातक से लेकर पीएचडी तक की पढाई अर्थशासत्र विषय में ही की और वह भी दुनिया के श्रेष्ठतम विशवविद्ालयों से । लेकिन उनहें कभी इस दृषष्टि से नहीं देखा गया I इसलिए यह जानना बेहद जरुरी है कि डा. आंबेडकर एक महान अर्थशासत्री भी थे । अर्थशासत्र के विभिन्न पहलुओं पर उनके शमोध उललेखनीय है ।
डा. आंबेडकर की पहचान एक अर्थशासत्री के रूप में नहीं बन पायी I इसके पीछे भी कारण है । जब 1923 में बाबा साहब भारत वापस आए तमो यहां की सामाजिक पररषसथवत और अपने समाज की दयनीय षसथवत कमो देखा I इसके बाद उनकी प्राथमिकता में समाज के दलित, वंचित, महिला, मजदूर, किसान की षसथवत में परिवर्तन पर केंद्रित रही । अब उनका जीवन सामाजिक एवं राजनीतिक वरवसथा कमो बदलने के लिए ही समर्पित हमो गया । यही कारण था कि वह अपना शमोध अर्थशासत्र विषय तथा आर्थिक मुद्ों पर जारी नहीं रख पाए । वह वापस आने के बाद देश
विलक्षण अर्थशास्त्री भ्री हैं बाबा साहब डा. आंबेडकर
10 vizSy 2025