उठाते हुए लिखा – कया मुसलमानों की निषिा भारत के प्ति रह पाएगी ? उनका मानना था कि मुसलमान यह सोचते हैं कि अंग्ेजों ने उनसे सत्ा छीनी थी , इसलिए सत्ा उनहें वापस चाहिए । दरअसल डा . आंबेडकर को यह चिंता थी कि दुनिया भर में मुकसलमों की जो सोच रही है ,
अगर उसी सोच के तहत भारत के मुसलमानों का भी होगा तो आने वाला समय मुकशकल भरा होगा । उनहें लगता था कि अगर भारतीय मुकसलम अपने आपको देश की धरती से जोड नहीं सका और मुकसलम साम्ाजय सथातपि करने के लिए विदेशी मुसलमान देशों की ओर सहायता के
लिए देखने लगा , तो इस देश की सविंरििा पुन : खतरे में पड जाएगी ।
समान नागरिक संहिता पर एकमत
डा . आंबेडकर समान नागरिक संहिता के
vizSy 2024 41