अनुच्ेद-343 पंचायत और नगरपालिका चुनाव में आबादी के अनुपात में अनुसूचित जाति के लिए आरक्ण की संवैधानिक सुरक्ा देता है । अनुच्ेद-330 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए लोकसभा की सीटों में आरक्ण का प्बंध । अनुच्ेद-332 में राजय की विधानसभाओं की सीटों में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्ण का प्ावधान करता है । अनुच्ेद-335 में संघ और राजय की सेवाओं और नियुककियों अनुसूचित जाति और जनजाति के सदसयों का धयान रखा जाएगा ।
इसके साथ ही साथ हाथ से मैला साफ करने और सिर पर मैला ढोने की प्था को खतम करने के लिए 2003 में The Prohibition of Employment as Manual Scavengers and their Rehabilitation act-2013 बनाया गया । जिसमें हाथ से मैला साफ करने और सिर पर मैला ढोने की प्था को खतम कर दिया गया । अनुसूचित जनजाति में अलगाव की भावना प्बल होती है । वह अपने सथान , भाषा , संस्कृति आदि को लेकर संवेदनशील रहती हैं ऐसे में उनकी इस विशेषता को मद्ेनजर रखते हुए भारत सरकार कुछ क्ेरि के भ्रमण और खोजी
गतिविधियों के लिए प्तिबंधित कर देती है या फिर कुछ विशेष नियम और विनियम के तहत सहमति देती है जैसे कि उत्र-पूर्व के कुछ हिससों में घूमने के लिए आपको सरकार से सवीककृति की जरूरत होती है और कुछ प्देश या सथान को घूमने की लगभग मनाही ही है जैसे सेंट- सटेनली द्ीप समूह पर । यह सब नियम और निर्धारण जनजातियों के प्ाककृतिक अधिकार , उनकी संवेदनशीलता और सुरक्ा को धयान में रखकर बनाए जाते हैं ।
अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए संघ और राजय सिर पर अनेक कलयाणकारी योजनाएं संचालित हैं फिर चाहे वह शैतक्क सुविधा मुहैया कराती हो अथवा फिर आर्थिक , राजनीतिक और सामाजिक सहायता । केनद्रीय सरकार अनुच्ेद 275 ( 1 ) के अंतर्गत सहायता तथा अनुदान ककृति , बागवानी , लघु-सिंचाई , मृदा-संरक्ण , पशुपालन , वन , सहकारिता , मतसय , गाँव और लघु उद्योग के लिए उपलबध कराती है ।
आदिम जनजातीय समूह विकास योजना को 17 राजयों और एक संघ शासित प्देश को मिलकर 75 प्तिशत आदिवासी समूह के लिए 1998-
1999 में केंद्रीय क्ेरि योजना शुरू किया गया था । इसमें आवास , बुनियादी ढांचे का विकास , शिक्ा सवासरय , भूमि-विकास , ककृति-विकास , पशुपालन , सामाजिक सुरक्ा , बीमा आदि को सकममतलि किया गया । 2007 और 2008 के दौरान ‘ संरक्ण एवं विकास योजना ’ तैयार किया गया । इसमें राजय सरकार तथा गैर-सरकारी संगठनों के बीच प्यास और तालमेल की परिकलपना की गई । जनजातीय अनुसंधान संसथान योजना के तहत 14 अनुसंधान संसथान सथातपि किए गए । यह संसथान राजय सरकार को योजना संबंधी जानकारी , अनुसंधान , मूलयांकन , आंकडों का संग्हण , प्तशक्ण , संगोषटी और कार्यशाला का आयोजन और सहायता करना । अनय योजनाओं और सहायता में , शिक्ा में आरक्ण , छारिवृतत् , सेवा व पदों में आरक्ण , आयु में ्टूट , शुलक में रियायत , अनुभव संबंधी अर्हता में ्टूट , पदोन्नति में रियायतें , प्तकयातमक संरक्ण , आवासीय सुविधा , सवैतक्क संगठनों को सहायता आदि शामिल हैं ।
इस तरह आजादी के बाद भारत के दो प्मुख आर्थिक , सामाजिक , राजनीतिक और सांककृतिक वंचित और पिछड़े समुदाय को जिसकी कुल- मिलाकर आबादी लगभग 25 प्तिशत के आस- पास है , देश के विकास और मुखयधारा में सकममतलि करना बहुत जरूरी हो गया , कयोंकि यह आर्थिकी की परिभाषा में राषट्र की जनसंखया या लोगों का समूह भर नहीं है अपितु यह राषट्र की पूंजी भी है जिसको सकममतलि किए बिना न तो राषट्र विकास के तरफ कदम ही रखा सकता है और न ही संवैधानिक उपबंधों के तहत समानता को प्ापि किया सकता है । इसीलिए आजादी के बाद यह जरूरी हो गया कि देश की एक-चौथाई जनसमूह के पिछड़ेपन और वंचना को दूर करके एक बेहतर राषट्र की कसौटी पर खरा उतरा जाए जिसमें भारतीय संविधान के उपबंध न सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजातियों को अवसर की समानता देते हैं अपितु उनके लिए संविधान में अनेक सामाजिक , सांस्कृतिक और राजनीतिक प्ावधान कर सुरक्ा भी प्दान करते हैं ।
( साभार )
vizSy 2024 37