तरह जाति के लिए अंग्ेजी शबद ‘ कासट ( Cast )’ का हिनदी रूपांतरण जाति है , जिसका विसिारित अर्थ “ लोग अपने पैतृक वयवसाय को परिवर्तित नहीं करते हैं । इस प्कार जूते बनाने वाले लोग एक ही प्कार ( जाति ) के हैं ।” लेकिन माकसमावादी राजनीति विज्ञान में जाति का अर्थ राषट्र अथवा राजय से समझा जाता है । इसीलिए अगर भारतीय सामाजिक परिदृशय में अंग्ेजी के कासट के ऐतिहासिक तुलना पर जाएंगे तो अनेक भिन्नताएं उभर आएंगी कयोंकि यूरोप के पैतृक पेशे में जिस तरह परिवर्तन हुआ , वैसे भारत में नहीं हुआ और न ही भारतीय और यूरोपीय समाज में जाति के अनेक पहलुओं में उतनी गहरे सिर की कोई विशेष समानता ही थी । जाति की विशेषता , विशलेिण और पहचान के लिए समाजशासरिी एम . एन . श्रीनिवासन ने कुछ मुखय
बिंदु बतलाएं जिनमें से संसिरण अथवा पदकम , अंतःविवाह तथा अनुलोम विवाह , वयावसायिक समबदिा , भोजन और जलपान पर प्तिबंध , प्था या भाषा और पहनावे का भेद , संसकार एवं अनय विशेषाधिकार तथा तनयवोगयिाएं , जाति संगठन , जाति गतिशीलता आदि ।
अनुसूचित जातियों के लिए जो संवैधानिक उपबंध किया गया है वह कुछ इस प्कार है- अनुच्ेद 341 ( 2 ) में लिखा गया कि “ संसद विधि द्ारा , किसी जाति , मूलवंश या जनजाति को अथवा किसी जाति , मूलवंश या जनजाति के भाग या उनमें के समूह खंड ( 1 ) के अधीन जारी की गई अधिसूचना में विनिर्दिषट अनुसूचित जातियों की सूची में सकममतलि कर सकेगी या उनमें से अपवर्जित कर सकेगी , किनिु जैसा ऊपर कहा गया है , उसके सिवाय उकि खंड के
अधीन जारी की गई अधिसूचना में किसी पशचािविशी अधिसूचना द्ारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा ” इस तरह भारतीय संविधान का 341 अनुच्ेद अनुसूचित जातियों से संबंधित है । अगर डेटा की बात किया जाए तो भारत में लगभग 16.6 प्तिशत अनुसूचित जातियों की जनसंखया है , 2011 की जनगणना के अनुसार सबसे अधिक पंजाब राजय में लगभग 32 प्तिशत है । 1950 में संविधान लागू होने के समय 1108 जातियों की पहचान की गई थी ।
अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए भारतीय संविधान में अनेक प्ावधान और प्वर्तन किए गए हैं । जैसे कि अनुच्ेद-338 के तहत एक ‘ राषट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ’ जिसका काम अनुसूचित जाति के आर्थिक , सामाजिक और सांस्कृतिक हित अथवा सुरक्ा प्दान करना
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