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में हरवर्ट रिजले ने किया था , जिनकी किताब का नाम दी पीपलस ऑफ इंडिया ( The peoples of India ) जोकि 1915 में प्काशित हुई । जे . एच . हट्टन ने भारत में मुखयिः तीन प्कार के जनजातीय परिवार का वर्णन किया । पहली नीतग्टो- जिसे सबसे प्ाचीन कहा और इनका सथान आज का दतक्ण भारत बताया । दूसरी प्ोटो-ऑसट्रेलॉयड-जिसे आज का मधय भारत , जिसमें गौड़ आदि जनजाति आती हैं और तीसरी मंगोलायड- जिसे आज के रिह्मपुरि के आस-पास रहने वाली जनजाति बताया ।
आजादी के बाद 1950 में जनजातियों की संवैधानिक पहचान की गई , उस समय 212 समूहों अथवा परिवार को जनजाति का दर्जा दिया गया । अनुच्ेद-342 में प्ावधान करके राषट्रपति को यह अधिकार दिया गया कि वह
समय-समय पर सार्वजनिक सूचना के द्ारा जनजातियों को सूचीबद करें और 342 ( 1 ) में लिखा गया- “ अनुसूचित जनजातियां वह जनजातियां अथवा जनजातीय समुदाय या उनका कोई हिससा या इन जनजातियों का कोई समूह जिनहे राषट्रपति द्ारा सार्वजनिक सूचना द्ारा 342 ( 1 ) के तहत रखा गया है ।” वहीं अनुच्ेद 366 ( 25 ) में लिखा गया- “ ऐसी जनजातियां या आदिवासी समूह या ऐसी जनजातियां या जनजातीय समुदाय के हिससे या समूह हैं , जिनहें संविधान के प्योजनों के लिए अनुच्ेद-342 के तहत अनुसूचित जनजाति माना जाता है । I ”
अनुसूचित जनजातियों को लेकर जो आज डेटा उपलबध हैं , उसके अनुसार देश की कुल आबादी का 8.14 प्तिशत , देश के कुल क्ेरििल के 15 प्तिशत पर निवास , आबादी का 52
प्तिशत गरीबी रेखा से नीचे , 54 प्तिशत आदिवासियों की संचार और परिवहन तक आज भी कोई पहुंच नहीं है । लगभग 42 प्तिशत कामगार जिनमें से 55 प्तिशत किसान और 33 प्तिशत ककृति श्रमिक हैं । प्ापि डेटा के अनुसार 87 प्तिशत कामगार प्ाथमिक क्ेरि से जुड़े हैं । वहीं अनुसूचित जनजातियों की साक्रता दर 29.60 प्तिशत है और अनुसूचित जनजातियों की तीन-चौथाई महिलाएं अतशतक्ि हैं । मिजोरम में अनुसूचित जनजातियों का प्तिशत सबसे अधिक है लगभग 95 प्तिशत तक ।
जिस तरह अनुसूचित जनजातियों के लिए अंग्ेजी में ‘ ट्राइबस ’( Tribes ) का प्चलन है जिसकी समानता हिनदी शबद ‘ कुटुंब ’ से की जाती है , लेकिन राजनीति में इसका आशय ‘ अविकसित समाज ’ से माना गया । ठीक उसी
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