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उन प्मुख पहलों में से एक है , जिसने लडके- लडतकयों के बीच भेदभाव से निपटने और बालिकाओं के महत्‍व को बढ़ावा देने के लिए बडे पैमाने पर लोगों को साथ जोडा और प्ेरित किया । प्त्‍येक सिर पर , इस योजना ने सामुदायिक सहभागिता के माधयम से बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कर्मठता से काम किया है । जनम के समय लिंग चयन न करने की वकालत करते हुए और उनके शैतक्क विकास में सहायता के लिए सकारातमक कार्रवाई को प्ोतसातहि कर बीबीबीपी एक सकारातमक बदलाव लायी है । पिछले कुछ
विशों में , जनम के समय लिंगानुपात में सराहनीय सुधार हुआ है , जो 918 ( 2014-15 ) से 19 अंक की वृतद के साथ 937 ( 2020-21 ) हो गया । इसके अतिरिकि , माधयतमक शिक्ा में लडतकयों का नामांकन 2014-15 में 75.51 प्तिशत से बढ़कर 2020-21 में 79.46 प्तिशत हो गया , जो महतवपूर्ण प्िति को दर्शाता है । इसके अलावा , देश में पहली बार कुल जनसंखया का लिंगानुपात ( प्ति 1000 पुरुषों पर महिलाएं ) 1020 ( एनएफएचएस-5 , 2019-21 ) तक पहुंच गया है ।
भारत को कुपोषण मुकि बनाने की दिशा में
सरकार ने 8 मार्च 2018 को पोषण अभियान शुरू किया । कुपोषण की समस्‍या से समग् रूप से निपटने की दिशा में यह मिशन विभिन्न हितधारकों का एक समकनवि मंच है । एक मजबूत आईसीटी सक्म प्‍लेटफॉर्म-पोषण ट्ररैकर की सहायता से वासितवक समय में पूरक पोषण की निगरानी और सेवाओं का तवरित पर्यवेक्ण और प्बंधन सुतनकशचि किया जाता है । 14 लाख से अधिक आंगनबातडयों की सहभागिता और लगभग 10 करोड गरीब-दलित लाभार्थियों का कवरेज इस पहल के माधयम से प्ापि प्भाव के स्‍तर को दर्शाता है ।
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