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अनानास रूप से नहीं आया था । सविंरििा से पूर्व अंग्ेजों ने अपनी कुटिल नीति के कारण जब यह भ्रम फैलाया था कि भारत एक राषट्र नहीं , बकलक राषट्रों का एक समूह है । उस समय डा . आंबेडकर आल इकणडया डिप्ैसड कलासेस कांग्ेस के नागपुर अधिवेशन में 1930 में अधयक् के
रूप में दिए अपने भाषण में इसका विरोध करते हुए कहा था कि भारत एक राषट्र है और भारत की विविधता में एकता के ही दर्शन होते हैं और उसी सांस्कृतिक एकातमकता के परिणामसवरूप भारत सिर्फ एक राषट्र है । इस प्ायद्ीप को छोड़कर संसार का कोई भी दूसरा देश ऐसा नहीं
है , जिसमें इतनी सांस्कृतिक समरसता हो । हम केवल भौगोलिक दृकषट से सुगठित नहीं हैं , बकलक हमारी सुतनकशचि एकता भी अतवकच्न्न और अटटूट है जो पूरे देश में चारों दिशाओं में वयापि हैI डा . आंबेडकर ने इस बात को आग्हपूर्ण तरीके से कहा था कि यह राषट्र हजारों विशों से
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