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डा . आंबेडकर के आदर्शों के प्रति वास्तविक प्रतिबद्धता दिखाने की जरुरत
डा . विजय सोनकर शासत्री
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अप्ैल को देश ने संविधान निर्माता बाबा साहब डा . भीम राव रामजी राव आंबेडकर की 134 वीं जयंती मनाई । हर वर्ष की तरह अबकी बार भी डा . आंबेडकर की जयंती पूरे धूमधाम से मनाई गई । आधुनिक भारत की तसवीर को िढ़ने में बाबा साहब की भूमिका को कभी भी अनदेखा नहीं किया जा सकता । परनिु वर्तमान भारत की ओर दृकषट डालने पर प्श्न यह भी उठता है कि कया बाबा साहब ने एक ऐसे राषट्र की कलपना की थी , जहां राजनीतिक लाभ उठाने के लिए आम लोगों को धर्म-जाति के नाम पर बांट दिया जाए ? या बाबा साहब ने एक ऐसे राषट्र के निर्माण का सपना देखा था , जहां समग् विकास के माधयम से सभी नागरिकों को विकास यारिा में सहभागी बनाया जाए ? आधुनिक भारत
की नींव रखने में बाबा साहब का उललेखनीय योगदान है । भारतीय रिजर्व बैंक , नेशनल पॉवर कारपोरेशन , राषट्रीय जल बोर्ड , भारत की औद्योगिक नीति , रोजगार कार्यालय , विदेश नीति , श्रम क़ानून , महिलाओं के लिए अनिवार्य मातृतव अवकाश सहित कई अनय नीतियों एवं संसथानों को सथातपि करने में बाबा साहब की महतवपूर्ण भूमिका रही और सविंरि भारत के निर्माण में अपना योगदान दियाI
देखा जाए तो डा . आंबेडकर ने समपूणमा भारत वर्ष को एक राषट्र के रूप में सवीकार किया था । उनका मानना था कि इस राषट्र की निर्मिति कोई सौ या दो वर्ष में नहीं हो गयी है । इसको प्ककृति , समाज एवं उसकी संस्कृति ने एक राषट्र के अखंड सवरुप के साथ निर्मित किया है । देश की एकता और अखंडता इस राषट्र की सवाभाविक प्ककृति है । बाबा साहब के मन में यह विषय
14 vizSy 2024