April 2023_DA | Page 7

विवाह इस वयि्र् में निषेध होते हैं । सामाजिक विद्ेष और घृणा के प्रसार से इस वयि्र् को बल मिलता है ।
उललेखनीय है कि इन भेदभावों के खिलाफ उनहोंने वय्पक आंदोलन शुरू करने का फैसला किया । उनहोंने सार्वजनिक आंदोलनों और जुलूसों के द््रा , पेयजल के सार्वजनिक संसाधन समाज के सभी लोगों के लिये खुलवाने के साथ ही उनहोंने अछूतों को भी मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिये भी संघर्ष किया ।
महिलाओं से संबंधित विचार : डॉअमबेडकर भारतीय समाज में स्त्रयों की हीन दशा को लेकर काफी चिंतित थे । उनका मानना था कि स्त्रयों के समम्रपूर्वक तथा ्ितंत्र जीवन के लिए शिक्् बहुत महतिपूर्ण है । डॉ अमबेडकर ने हमेशा ्त्री-पुरुष समानता का वय्पक समर्थन किया । यही कारण है कि उनहोंने ्ितंत्र भारत के प्रथम विधिमंत्री रहते हुए ‘ हिंदू कोड बिल ’ संसद में प्र्तुत किया और हिनदू स्त्रयों के लिए नय्य सममत वयि्र् बनाने के लिए इस विधेयक में उनहोंने वय्पक प्रावधान रखे । उललेखनीय है कि संसद में अपने हिनदू कोड बिल मसौदे को रोके जाने पर उनहोंने मंत्रिमंडल से इ्तीफा दे दिया । इस मसौदे में उत्राधिकार , विवाह और अर्थवयि्र् के कानूनों में लैंगिक समानता की बात कही गई थी । दरअसल ्ितंत्रता के इतने वर्ष बीत जाने के प्च्त वय्िहारिक धरातल पर इन अधिकारों को लागू नहीं किया जा सका है , वहीं आज भी महिलाएँ उतपीड़र , लैंगिक भेदभाव हिंसा , समान कार्य के लिए असमान वेतन , दहेज उतपीड़र और संपवत् के अधिकार ना मिलने जैसी सम्य्ओं से जूझ रही हैं । इस संदर्भ में धय्र देने वाली बात है कि हाल ही में
समान नागरिक संहिता का प्रश्न पुनः उ्ठ्या गया है । उसका वय्पक पैमाने पर विरोध किया गया , जबकि बाबा साहब अमबेडकर ने समान नागरिक संहिता का प्रबल समर्थन किया था ।
शिक्् संबंधित विचार : डॉ अमबेडकर शिक्् के महति से भली-भाँति परिचित थे । दरअसल अछूत समझी जाने वाली जाति में जनम लेने के चलते उनहें अपने स्कूली जीवन में अनेक अपमानजनक स्रवतयों का सामना करना पड़् था । उनका वि्ि्स था कि शिक्् ही वयस्त में यह समझ विकसित करती है कि वह अनय से अलग नहीं है , उसके भी समान अधिकार हैं । उनहोंने एक ऐसे राजय के निर्माण की बात रखी , जहाँ समपूणना समाज वशवक्त हो । वे मानते थे कि शिक्् ही वयस्त को अंधवि्ि्स , झू्ठ और आडमबर से दूर करती है । शिक्् का उद्े्य लोगों में नैतिकता व जनकलय्ण की भावना विकसित करने का होना चाहिए । शिक्् का ्िरूप ऐसा होना चाहिए जो विकास के साथ- साथ चरित्र निर्माण में भी योगदान दे सके । डॉ . अमबेडकर के शिक्् संबंधित यह विचार आज शिक्् प्रणाली के आदर्श रूप माने जाते हैं । उनहीं के विचारों का प्रभाव है कि आज संविधान में शिक्् के प्रसार में जातिगत , भौगोलिक व आर्थिक असमानताएँ बाधक न बन सके , इसके लिए मूलअधिकार के अनुचछेद 21-A के तहत शिक्् के अधिकार का प्रावधान किया गया है , जो उनकी प्रासंगिकता को वर्तमान परिप्रेक्य में प्रमाणित करती है ।
अधिकारों को लेकर विचार : डॉ . अमबेडकर अधिकारों के साथ-साथ कर्तवयों पर बल देते थे । उनका मानना था कि वयस्त को न सिर्फ अपने अधिकारों के संरक्ण के लिए जागरूक
होना चाहिए , अपितु उसके लिए प्रयत्नशील भी होना चाहिए , लेकिन हमें इस सतय को नहीं भूलना चाहिए कि इन अधिकारों के साथ-साथ हमारा देश के प्रति कुछ कत्नावय भी है । अधिकारों को लेकर उनके यह विचार वर्तमान समय में और जय्दा महतिपूर्ण हो जाते हैं । दरअसल वर्तमान वि्ि में सरकारें अपने नागरिकों को विकास के समान अवसर प्रापत करने के लिए कुछ मौलिक अधिकार प्रदान करती हैं , हालाँकि मौलिक अधि कारों के साथ-साथ मौलिक कत्नावयों की भी बात की जाती है ।
श्वमक वर्ग के लिए कार्य : बाबा साहेब सिर्फ अछूतों , महिलाओं के अधिकार के लिए ही नहीं , बसलक संपूर्ण समाज के पुनर्निर्माण के लिए भी प्रयासरत रहे । उनहोंने मजदूर वर्ग के कलय्ण के लिए उललेऽनीय कार्य किये । पहले मजदूरों से प्रतिदिन 12-14 घंटों तक काम लिया जाता था । इनके प्रयासों से प्रतिदिन आ्ठ घंटे काम करने का नियम पारित हुआ । इसके अलावा उनके प्रयासों से मजदूरों के लिए इंडियन ट्रेड यूनियन अधिनियम , औद्योगिक विवाद अधिनियम तथा मुआवजा आदि से भी सुधार हुए । उललेखनीय है कि उनहोंने मजदूरों को राजनीति में सवरिय भागीदारी करने के लिए प्रेरित किया । वर्तमान के लगभग जय्दातर श्म कानून बाबा साहेब के ही बनाए हुए हैं , जो उनके विचारो को जीवंतता प्रदान करते हैं ।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि डॉ अमबेडकर के सामाजिक चिनतर में अ्पृ्यों , दलितों तथा शोषित िगयों के उतर्र के लिए काफी संभावना झलकती है । वे उनके उतर्र के माधयम से एक ऐसा आदर्श समाज ्र्वपत करना चाहते थे , जिसमें समानता , ्ितंत्रता तथा भ््तृति के तति समाज के आधारभूत सिद्धांत हों । अगर इनके विचारों को अमल में लायें तो समाज की जय्दातर सम्य्एँ जैसे वर्ण , जाति , लिंग , आर्थिक , राजनैतिक व धार्मिक सभी पहलुओं पर पैनी नजर रखी जा सकती है । साथ ही नयू इंडिया के लिए एक नया मॉडल व डिजाइन भी तैयार किया जा सकता है । �
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