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दलित सीटों की दम पर नया इतिहास बनाएगी भाजपा
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र्नाटक में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गयी है । राजय की 16वी विधानसभा ग्ठर के लिए आगामी 10 मई को मतदान और चुनाव परिणाम की घोषणा 13 मई को होगी । राजय में सत््रूढ़ भाजपा के नेता यह दावा कर रहे हैं कि अबकी बार चुनाव में भाजपा एक नए इतिहास की रचना करेगी और लगातार दूसरी बार सत्् को संभालेगीI केंद्र से लेकर राजय ्तर तक के नेताओं के तमाम दावों के बीच प्रश्न यह उ्ठता है कि ्य् ि््ति में ऐसा हो सकेगा ? चुनाव से पहले ही तमाम सिदेक्ण जहां भाजपा के पुनः जीत हासिल करने की तमाम दावों को नकार रहे हैं , वही राजय के राजनीतिक हालात भी कुछ ऐसा ही संकेत देते हैं ।
कर्नाटक में सत्् के समीकरण को देखें तो राजय की 224 सद्यीय विधानसभा में बहुमत हासिल करने के लिए 113 विधायकों की आि्यकता होती है । 2018 के चुनाव में भाजपा को जहां 36.2 प्रतिशत वोटों के साथ 104 सीटों पर विजय हासिल की थी , वहीं कांग्ेस ने 38
प्रतिशत वोटों के साथ 78 , जनता दल ( से्युलर ) ने 18.5 प्रतिशत वोटों के साथ 37 और अनय सीटों पर निर्दलीय , बसपा , केपीजेपी के उममीदवार जीते थे । सत््रूढ़ भाजपा के सामने अबकी बार अपनी 104 सीटों को बचाने की सबसे बड़ी चुनौती तो है ही , साथ ही सीटों को बढाकर सत्् हासिल करने का दबाव भी है । भाजपा नेतृति से लेकर अनय तमाम नेता राजय का लगातार दौरा कर रहे हैं , बै्ठक कर रहे हैं , जनसभाओं का आयोजन किया जा रहा है और आम जनता के बीच जाकर अपने क्ययों और उपलब्धयों का ्यौरा दिया जा रहा है , पर जमीनी ्तर सब कुछ वैसा नहीं है , जैसा भाजपा नेताओं द््रा बताया जा रहा है ।
राजय की राजनीति पूरी तरह से जाति-वर्ग के आधार पर बंटी हुई है । मुखय रूप से लिंगायत , वोकालिगग् , दलित , आदिवासी , पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी ) और मुस्लम बड़े वोट बैंक हैं । भाजपा का जनाधार लिंगायत और जनता दल ( से्युलर ) का वोकालिगग् है । इन दोनों के बीच कांग्ेस लिंगायत और वोकालिगग् वोट बैंक के साथ ही पिछड़ा वर्ग , दलित , आदिवासी मतदाताओं को साधने के साथ ही मुस्लम वोटबैंक की दम पर दशकों तक सत्् में रही है । भाजपा की यह कोशिश है कि वह अपने परंपरागत लिंगायत वोटबैंक के साथ वोकालिगग् , पिछड़ा वर्ग , दलित , आदिवासी मतदाताओं को अपनी ओर खींच सके । इसके पीछे भाजपा नेताओं का तर्क है कि राजय सरकार के क्ययों
और उपलब्धयों के साथ प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों और क्यनारिमों से लाभ्सनित होने वाला एक बड़ा वर्ग प्टटी के साथ खड़ा है । तमाम दावों-प्रतिदावों के बीच भाजपा और कांग्ेस दोनों ही जाति-उपजाति-वर्ग के आधार पर राजय की राजनीति को प्रभावित करने वाले छोटे-छोटे गुटों और समूहों को अपने खेमे में लाने की कोशिश में जुटे हुए हैं ।
कर्नाटक में 51 आरवक्त सीटें चुनाव में महतिपूर्ण भूमिका निभाती हैं । 2008 से अंतिम परिसीमन किया गया था । इस परिसीमन के वि्लेषण से पता चलता है कि जिस प्टटी ने सबसे अधिक आरवक्त सीटें जीतीं , उसी ने कर्नाटक में हमेशा सरकार बनाई है । कर्नाटक
48 vizSy 2023