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मुस्लम शासकों ने यह रणनीति बनाई कि हिनदुओं को गुलाम एवं हिनदु्र्र पर अगर शासन करना है तो हिनदू धर्म एवं सं्कृवत रक्क रि्ह्मणों एवं भौगोलिक सीमा के रक्क क्वत्रयों के साथ हिनदू धर्म को नषट करना ही होगाI इसके बाद हिनदु्र्र पर मुस्लम शासकों का जो अतय्चार शुरू हुआ , उसके तहत मंदिर और देवालयों के साथ ही हिनदू धर्म ग्ंरों को खोज- खोज कर नषट किया गया । हिनदू समाज को तहस-नहस करने वाले विदेशी मुस्लम आरि्ंताओं ने हिनदुओं को इ्ल्म में परिवर्तित करने के लिए ्ि्वभमानी एवं धर्म रक्क , देश रक्क योद्धा प्रजाति के युद्धबंदी क्वत्रयों और
रि्ह्मणों को अपमानित और अस्ततिविहीन करने के लिए अ्िचछ क्ययों में बलपूर्वक लगाया , उनको अपमानजनक समबोधनों तथा जातिसूचक नामों से बहिषकृत बनाया । मधयकाल के दौरान विदेशी इ्ल्वमक आरि्ंताओं के उतपीड़न के परिणाम्िरूप गौरवशाली , ्ि्वभमानी हिनदुओं के समूह को कई ज्वतिगयों में बलपूर्वक परिवर्तित कराया गया । जिनहोंने किसी भी मूलय पर इ्ल्म को ्िीकार नहीं किया , उनको अ्िचछ क्ययों में लगाकर भारतीय समाज में कई ऐसी जातियों को जनम दिया गया , जो समय बीतने के साथ देश में दलित जातियों के रूप में सामने आयी । इ्ल्म को पूर्णतः
अ्िीकार करने वाले ्ि्वभमानी हिनदू समाज ने इ्ल्वमक आरि्ंताओं के क्ठोर और विकृत अतय्चार को सैकड़ों िषयों तक ्िीकार किया । विदेशी मुस्लम आरि्ंता के सुनियोजित षड्ंत्र के कारण मधयकाल के उपरांत भारत में पांच नए िगयों का उदय हुआ , जिनमें मुस्लम , अ्पृ्य , जनजाति , सिख और ईसाई वर्ग को रखा जाता है । 1931 की जनगणना में अंग्ेजों ने वडप्रे्ड ्ल्स नामक एक नया वर्ग बनाया और जाति के आधार पर भारत की जनगणना कराई गयीI अंग्ेजों ने ऊँच-नीच की भावना को आगे बढ़्या । अंग्ेजों ने विदेशी मुस्लम आरि्ंताओं द््रा भारी संखय् में में अ्पृ्य
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