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जातिप्रथा पर दुष्प्रचार की काट
जरूररी
शंकर शर्ण
मेरिका के सिएटल में जातिगत
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भेदभाव के विरुद्ध अपनी तरह
का एक पहला कानून बना है । चूंकि जाति के मुद्े का मूल ्र्र भारत है तो यहां भी उस पर चर्चा हो रही है । कुछ लोग इसे ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं , तो कुछ हिंदू- विरोधी प्रचार का एक रूप मान रहे । ि्तुतः , अमेरिका-यूरोप में हिंदू धर्म की पहचान मुखयतः जातिगत उतपीड़र से जुड़ गई है । इस दुषप्रचार का आरंभ सदियों पहले ईसाई मिशनरियों ने किया , जिसे कालांतर में भारतीय वामपंथियों ने नई धार दी ।
वरिटिश पत्रकार मार्क टली का कहना है कि मैं जब कहीं भी हिंदू धर्म के बारे में कोई अचछी बात बताता हूं , तो कोई न कोई श्ोता आपवत् करता है कि जातिप्रथा के कारण हिंदू धर्म खराब है । ऐसा समझने वाले प्रायः सुवशवक्त लोग हैं । वे जातिप्रथा को हिंदू धर्म का मूल तति समझते हैं । इस पर आम हिंदूवादी प्रचारक केवल पश्चमी बौद्धिकों को यही आईना दिखाते हैं कि चूंकि पश्चम ने सदियों तक वि्ि में अंतहीन अतय्चार किए , इसलिए उनहें हिंदू समाज पर अंगुली उ्ठ्रे का कोई नैतिक अधिकार नहीं । उनकी यह दलील वरषप्रभावी रहती है , ्योंकि पश्चमी लोग ्ियं ईसाई मतवाद और इतिहास के आलोचक हैं ।
यह बात और है कि यही पश्चमी जगत
38 vizSy 2023