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डॉ . बी . आर . अम्बेडकर : महानता मिथक न बनबे

डॉ . शिव पूजन प्रसाद पाठक
रत के ्ि्धीनता आनदोलन में

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अनुसूचित जाति के नेतृति के
दृसषट से तीन धाराएँ बहती हुई दिखती हैं । एक धारा का नेतृति जोगेनद्र नाथ मंडल कर रहे थे , जो पश्चम बंगाल से आते थे और राजनीतिक रूप से मुस्लम लीग से जुड़े थे । भारत के विभाजन के समय प्वक्त्र चले गये । वहां पर लियाकत अली खान के मंत्रालय में पहले विधि मंत्री बने । यद्यपि शीघ्र ही प्वक्त्र से मोह भंग हो गया और भारत चले आये । जिस दलित और मुस्लम राजनीति के सामाजिक ग्ठबंधन की वकालत कर मंडल कर रहे थे , वह प्वक्त्र में बिखरते हुए दिखाई दिया । दूसरे धारा का नेतृति बाबू जगजीवन राम कर रहे थे जो भारतीय कांग्ेस के साथ थे और उसकी सोच से प्रभावित रहे । बाबू जगजीवन राम की सोच भारत के एकीकरण की सोच थी और वह पूरी तरह र्षट्रवादी थे । तीसरी धारा के अगुवा डॉ . बी . आर . अमबेडकर हैं । डॉ . अमबेडकर की धारा वैचारिक दृसषट से वि्तृत और प्रभावी है । इस वैचारिक धारा को राजनीतिक और सामाजिक आधार मिला और ्ितंत्र भारत में डॉ . अमबेडकर सामाजिक नय्य के पुरोधा के रूप में ्र्वपत हुए । संविधान सभा के प्रारूप समिति अधयक् हो जाने के कारण डॉ . अमबेडकर की भूमिका र्षट्रीय ्तर पर ्िीकार्य हो गयी थी ।
उनके प्राथमिक शिक्् के गुरु अमबेडकर और कृषण् जी केलु्कर है । उनहोंने अपने पिता की उपाधि ‘ सकपाल ’ न लेकर अपने गुरु
अमबेडकर उपनाम को ्िीकार किया । महाराजा बड़ौदा द््रा उच् शिक्् के लिय प्रदत् छात्रवृवत् भी उनके शैवक्क जीवन में महतिपूर्ण योगदान दिया
वर्तमान समय में डॉ अमबेडकर एक ्तमभ की तरह हैं , जिनके आस-पास भारत की राजनीति घूमती है । उनके जीवन के कई रूप हैं और कई अि्र्ओं से गुजरे हैं । उनका
वयस्तवत्ि बहु आयामी है । डॉ . अमबेडकर वशक्क और सश्त लेखक है । उनके लेखन की फलक वय्पक है । एक प्रकार से वे तुलनातमक राजनीति के विद्य्रटी हैं । उनहोंने राजनीति , समाज , विधि , वि्ि-इतिहास , धमां , अर्थश््त्र , विदेश नीति और र्षट्रीय सुरक्् जैसे विषयों पर लेखन गहन अधययन के बाद किया है । वे एक पत्रकार भी हैं । ‘ मूक नायक ’,
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