वयि्र् ने अमानवीय हालातों में रहने के बाधय किया । आप रोज अखबारों में तथाकथित उंची जातियों द््रा अनुसूचित जातियों / अनुसूचित जनजातियों के विरुद्ध अतय्चार के संदर्भ में तीन से चार घटनाएं पढ़ सकते हैं । यह सभी भारत के नागरिक हैं , इनहें भी अनय समुदायों की तरह आतमरक्् का अधिकार प्रापत है । राजय ने दलित समाज की रक्् के लिए कानून बनाए हैं , लेकिन आजादी के बाद के 70 िषयों का अनुभव के आधार पर हम कह सकते हैं कि कानून बेहतर हैं , लेकिन उनका वरियानियन बदत्र है । राजय मशीनरी समाज के वंचित समुदायों के अधिकारों , ्ितंत्रता और आजादी
की सुरक्् करने में असफल रहा है ।
यहां उन स्रवतयों को रेखांकित करना चाहता हूं , जिन स्रवतयों में राजय की सहायता उपल्ध नहीं होती । इन स्रवतयों के लिए राजय अपने नागरिकों को आतमरक्् का अधिकार प्रदान करता है , इस अधिकार में उस वयस्त की हतय् का अधिकार भी शामिल है , जो आपकी या अनय किसी की हतय् करना चाहता है ।
आतमरक्् का अधिकार र्षट्रीय और अनतर्नाषट्रीय ्तर पर पूरी तरह से मानयता प्रापत अधिकार है । संयु्त र्षट्र का अनुचछेद 51 इस बात की मानयता देता है कि यह अधिकार उसके सभी सद्यों को प्रापत है , ये सद्य वयस्त हो
या राजय । संयु्त र्षट्र के अधिकार पत्र में कोई ऐसा प्रावधान नहीं हैं , जो संयु्त र्षट्र के किसी सद्य पर सश्त्र हमला होने की स्रवत में वयस्त या समूह के अनतवरनावहत आतमरक्् के अधिकार को खारिज करता हो , उस समय तक , जब तक की सुरक्् परिषद अनतर्नाषट्रीय श्सनत और सुरक्् को कायम रखने के लिए आि्यक कदम न उ्ठ् ले । हां यह जरूरी है कि सद्यों द््रा आतमरक्् के अधिकार को वरिय्सनित करने के लिए जो कदम उ्ठ्ए गए हैं , उसकी सूचना सुरक्् परिषद को ततक्ल दी जाए । इस संदर्भ में यह भी ्पषट है कि आतमरक्् के लिए उ्ठ्ए गए कदम किसी भी प्रकार से सुरक्् परिषद के प्राधिकार और उत्रदायितिों को प्रभावित नहीं करते हैं । वर्तमान चार्टर के तहत सुरक्् परिषद को यह अधिकार है कि जब भी उसे आि्यक लगे वह अनतर्नाषट्रीय श्सनत और सुरक्् कायम रखने और पुरना्र्वपत करने के उद्े्य से आि्यक कदम उ्ठ् सकता है ।
भारतीय विधि संहिता की 1860 की धारा 100 भी ‘ वयस्तगत सुरक्् ’ के नाम पर आतमरक्् का अधिकार प्रदान करता है । जैसे कि :
जब शरीर के वयस्तगत आतमरक्् का अधिकार , हतय् का कारण बनने तक वि्त्रित हो जाता है :
इससे ( अनुचछेद 100 ) पहले के अनुचछेदों में उसललवखत प्रतिबंधों के भीतर शरीर की रक्् करने का वयस्तगत आतमरक्् का अधिकार , जिस वयस्त पर आरिमण किया गया है , उसे यह अधिकार प्रदान करता है कि वह आरिमणकारी की हतय् भी कर सकता है । यह अधिकार नीचे उललेवखत शतयों के अधीन है :
पहला : ऐसा हमला जिसमें तर्कसममत तौर पर इस बात की आशंका हो कि इसके चलते वयस्त की मृतयु हो जायेगा , यदि इस हमले को रोका नहीं गया ।
दूसरा : ऐसा हमला जिसमें तर्कसममत तौर पर इस बात की आंशका हो कि यदि इसे रोका नहीं गया तो वयस्त को गंभीर चोटपुहंचेगी ।
तीसरा : ऐसा हमला , जिसका मंतवय
vizSy 2023 25