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दलितषों पर अत्ाचार और आत्मरक्ा का अधिकार
दरीपक कुमार
गरूकता के अभाव में दलितों पर tk
अतय्चार पूरे देश में सबसे
अधिक होते हैं । इसकी एक बड़ी वजह दलितों में कानून के बारे में जागरूकता का अभाव भी है । बुद्ध ने कहा था कि ‘ युद्ध समाधान नहीं है ’। बुद्ध की इस बात को भारतीय संविधान ने अपने मूल-प््ठ और अनय वैधानिक प्रावधानों में समाहित किया । भारतीय संविधान का भाग-चार अनतर्नाषट्रीय श्सनत और सुरक्् को बनाए रखने और बढ़्ि् देने का प्रावधान करता है वयस्त र्षट्रीय के साथ-साथ अनतर्नाषट्रीय विधि का एक विषय है और वयस्त को एक दूसरे के साथ-साथ राजय के बर्स भी अधिकार और कर्तवय प्रदान किए गए हैं । कानून सभयता का उपहार है , जो मानव प्राणी और जानवरों के बीच में एक बुनियादी अनतर पैदा करता है । मानव प्राणी संगव्ठत और सभय तरीके से समाज से संचालित होता है । मानव प्राणियों का ्िभाव है कि वे अपने आप ही एक दूसरे के साथ श्सनत के साथ नहीं रह सकते । इसलिए उनको ्ियं के बनाए नियमों या राजय द््रा बनाए कानूनों से नियंत्रित करने की आि्यकता होती है । दूसरे श्दों में राजय नागरिकों की सुरक्् के लिए कानून बनाता है । यह कानून न केवल
नागरिकों को एक दूसरे से सुरक्् प्रदान करता है , बसलक राजय से भी सुरक्् प्रदान करता है ।
ऐसे कानून हैं , जो किसी भी आरिमण से वयस्त से वयस्त को सुरक्् प्रदान करने के साथ-साथ राजय से भी सुरक्् प्रदान करते हैं । राजय का यह दायिति है कि वह अपने राजय क्ेत्र के भीतर और बाहर वयस्त के शरीर और संपवत् की सुरक्् करे । लेकिन कुछ हालात ऐसे होते हैं , जिनमें राजय फौरी तौर पर वयस्त को सुरक्् प्रदान करने की स्रवत में नहीं होता । इन हालातों के लिए राजय वयस्त को किसी आरिमण से अपनी आतमरक्् करने का अधिकार प्रदान करता है । यह अधिकार इस बात तक की इजाजत
देता है कि यदि कोई वयस्त उसकी हतय् करना चाहता है , तो अपनी आतमरक्् में वह उस वयस्त की हतय् भी कर सकता है । भारतीय दंड विधान की यह अनोखी विशेषता है कि वह वयस्त को यह अधिकार देता है कि जब उसे तर्कसममत तरीके से यह आशंका हो जाए कि इन हालातों में कोई वयस्त उसकी मौत का कारण बन रहा है , तो वह आपको यह अधिकार देता है कि आप अपनी और दूसरे अनय वयस्तयों का बचाव कर सकते हैं ।
भारत में दलित समाज पिछले आ्ठ सौ साल से अपमान और भेदभाव का सामना कर रहा है । दलित समाज के लोग जातिवादी और धार्मिक
24 vizSy 2023