जिस पर ्ितंत्रता के बाद से भाजपा विरोधी पार्टियां बात करने की आि्यकता का भी आभास नहीं करती थीI विकास के रूप में सामने आए नए मुद्े को देश की जनता ने सर्वसममवत से ्िीकार किया और उन नेताओं को किनारे करना शुरू कर दिया , जिनके लिए विकास कोई मुद्् कभी था ही नहीं । यही कारण रहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कई राजयों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्ेस और उसकी सहयोगी पार्टियां लगातार पराजय का मुंह देखती रही , वही प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के विकासवादी एजेंडे को सभी ने सराहने में कोई कसर नहीं छोड़ी । ्ितंत्र भारत में पहली बार नरेंद्र मोदी के रूप में कोई ऐसा नेता जनता के सामने आया है , जिसने सत्् संभालने के मधय उन मुद्ों और रणनीति को पीछे छोड़ दिया , जिस पर ्ितंत्र भारत की नींव टिकी हुई थी । ्ितंत्रता के उपरांत देश की सत्् येन-केन- प्रकारेण कांग्ेस के हाथों में चली गयी । कांग्ेस ने कई दशकों तक सत्् तो संभाली , पर देश की राजनीति को जाति , धर्म , वर्ग एवं परिवारवाद
के खानों में बांट दिया ।
विकासवादी राजनीति करे प्रवर्तक बररे प्रधानमंत्ी मोदी
भारतीय राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब 2014 के आम चुनाव में विकास एक बड़ा मुद्् बना । कांग्ेस के लिए यह असहज था ्योंकि कांग्ेस ने अपने 60 िषयों की राजनीतिक यात्रा में कभी भी विकास के नाम पर चुनाव नहीं लड़ा । इसके विपरीत भाजपा नेता मोदी ने विकासवाद के नाम पर चुनाव लड़ा । विकास के मुद्े पर जनता से मिले अपार समर्थन का परिणाम प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों में दिखने लगा तो आम जनता ने इसकी सराहना की , पर कांग्ेस और उसके सहयोगियों ने इसे ्िीकार करने की आि्यकता नहीं महसूस की । कांग्ेस की ‘ ध्रुवीकरण ’, ‘ यूज एंड थ्ो ’ और " ्िकेसनद्रत " राजनीति को जिस तरह से नरेंद्र मोदी की " विकासवादी राजनीति " ने आइना दिखाया है , उसी का परिणाम यह है कि भारतीय राजनीति के इतिहास में नरेंद्र मोदी " विकासवाद " के नए प्रवर्तक के रूप में ्र्वपत हो चुके हैं ।
डॉ अम्बेडकर करे स्वप्न को पूरा कर रहरे हैं प्रधानमंत्ी मोदी
मोदी जी के विकासवाद पर यदि गहरी दृसषट डाले तो प्रकारांतर से वह डॉ अमबेडकर के ्िप्न को पूरा करते हुए दलितोतर्र के ही सिद्धांत को पुषट करना प्रतीत होता है । यह ्पषट रूप से देखा जा सकता है । मोदी सरकार के सामाजिक चिंतन को समझने वाले यह जानते हैं कि देश में यह पहली ऐसी सरकार सत्् में आयी है , जिसने दलितोतर्र के लिए ि््ति में विकासाद के कॉमन एजेंडा पर काम करना प्रारमभ किया है और किए जा रहे क्यवो के सुखद परिणाम भी अब नजर आने लगे हैं । प्रथम कानून मंत्री के रूप में डॉ . अमबेडकर ने भेदभाव विहीन ऐसे समाज की परिकलपर् की थी , जो हाशिए पर मौजूद लोगों को मुखयधारा में लेकर आए , जो विकास के लाभ सभी में समान रूप से वितरित करे , लेकिन ्ितंत्रता के बाद से सरकारों
के प्रयास इन विचारों को साकार करने में अपर्यापत रहे हैं । 2014 के बाद मोदी सरकार ने इन उद्े्यों को पूरा करने का अथक प्रयास किया । 2014 में अपनी सरकार का ग्ठर करने के बाद ही प्रधानमंत्री ने दलितों , समाज के उतपीवड़त और वंचित िगयों के लिए समर्पित रहने की घोषणा की थी । उसके बाद से मोदी सरकार के क्ययों और नीतियों ने अंतयोदय के अनुरूप कार्य किया ।
प्रधानमंत्री मोदी का विकास मॉडल डॉ . बाबासाहब अमबेडकर का जीवन मंत्र ' बहुजन हिताय , बहुजन सुखाय ' हमेशा से प्रधानमंत्री मोदी के विकास मॉडल के मूल में है । डॉ . अमबेडकर की दूरदृसषट और उनहीं के समान अपने वि्ि्सों से प्रेरित होकर , प्रधानमंत्री मोदी ने प्राथमिक , उच् और चिकितस् शिक्् पर धय्र केंद्रित करते हुए शिक्् क्ेत्र में तीव्र गति से बदलाव लाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है । देश के सुदूर कोने-कोने तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है , 45 करोड़ से अधिक गरीब एवं दलित जनता के बैंक खाते खोले गए हैं , 11 करोड़ से अधिक शौचालयों और 3 करोड़ से अधिक मकानों का निर्माण , 12 करोड़ महिलाओं को गैस सिलेंडर , मुद्रा योजना ने अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति और अनय पिछड़े समुदाय के 34 करोड़ सद्यों को गारंटी के बिना 18 लाख करोड़ रुपये के ऋण प्रदान करने में मदद , उज्िला योजना से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के 3.1 करोड़ सद्यों को लाभ आदि अनेकों ऐसे कदम मोदी सरकार ने उ्ठ्ये हैं , जो दलित वर्ग को मुखय धारा में लाने के लिए मददगार सिद्ध हो रहे हैं । बाबा साहब के समम्र में पंच तीर्थ का विकास और संसद में डॉ . अमबेडकर का चित्र लगवाने में प्रधमंमंत्री मोदी की भूमिका को कभी भी नकारा नहीं जा सकता है । डॉ . अंबेडकर की परिकलपर् और प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों के मधय समानता का ही यह परिणाम है कि मोदी सरकार की नीतियां डॉ . अमबेडकर द््रा प्र्तुत भारत की अद्भुत विचार के सार को लागू कर रही हैं �
vizSy 2023 19